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आस्तीक बाबा के दर्शन को उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़

हरचंदपुर, संवादसूत्र : प्रसिद्ध आस्तीक देव मंदिर में नाग पंचमी से एक दिन पूर्व 2 लाख से अधिक श्रद्धा

By Edited By: Published: Mon, 17 Aug 2015 05:20 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2015 05:20 PM (IST)

हरचंदपुर, संवादसूत्र : प्रसिद्ध आस्तीक देव मंदिर में नाग पंचमी से एक दिन पूर्व 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के दर्शन करने की संभावना है इसके लिए प्रशासन भी सतर्क हो गया है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पीएसी, फायर ब्रिगेड, आर्म फोर्स, ट्रैफिक पुलिस को लगाया जाएगा। इस मंदिर की प्रसिद्धी कई दशक से है। मंदिर की मान्यता है कि सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति आस्तीक बाबा की जय के साथ ठीक हो जाता है। कई दशक पुराने इस मन्दिर में श्रद्धालुओं की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं की भीड़ नाग पंचमी के एक दिन पहले से ही मंदिर परिसर में आना शुरू होती है। श्रद्धालु मान्यता के अनुरूप नाग पंचमी से एक दिन पहले सई नदी में स्नान के पश्चात भीगे वस्त्रों में दर्शन करना शुरू करते है यह सिलसिला सुबह से लेकर शाम तक चलता है। इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराता है और स्वास्थ्य विभाग, आयुर्वेद विभाग चिकित्सीय व्यवस्था प्रदान करते हैं।

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द्वापर युग की समाप्ति व कलयुग के प्रारम्भ में पाण्डव वंशी राजा परीक्षित हस्तिनापुर के राजा थे और शिकार के दौरान घायल हिरन के बारे में ध्यानमग्न समीक मुनि से पूछा किन्तु वह ध्यान की अवस्था में होने के कारण कोई उत्तर नहीं दे सके। इस पर राजा परिक्षित ने पास में पड़े मरे सर्प को उठाकर मुनि के गले में डाल दिया। थोड़ी देर बाद वहीं पंहुचे मुनि पुत्र श्रंगी ने पिता के गले में सर्प देखकर क्रोधित होकर हुए राजा को श्राप दिया कि अब इस कृत्य के बाद राजा की मृत्यु अत्यंत विषधर सर्प तक्षक के काटने से होगी। इसकी जानकारी जब राजा परीक्षित सहित उनके पुत्र जन्मेजय को हुयी तो उन्होंने यज्ञ कराकर सर्पो को समाप्त करने का निश्चय कर लिया और आहुतियों के साथ सर्प नष्ट करने लगे तभी महार्षि जरतुकार के पुत्र आस्तीक ने सर्पो को बचाया। इसी समय से आस्तीक मुनि को सर्पो का रक्षक माना जाने लगा। मुनि ने तक्षक से वचन लिया था कि जो कोई भी मेरा नाम लेगा उसे सर्प नहीं काटेंगे।

श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराता है और स्वास्थ्य विभाग, आयुर्वेद विभाग चिकित्सीय व्यवस्था प्रदान करते हैं। मेला कमेटी प्रबन्धक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मंदिर की मान्यता के अनुसार ही लोगों को खमरिया व प्रसाद चढ़ाना चाहिए।


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