अधिकारियों की लापरवाही से आदर्श तालाब बने 'जंगल'
रायबरेली, नगर संवाददाता : लाखों रुपये खर्च कर बने सामान्य और आदर्श तालाब देखरेख न होने से जंगल में तब्दील होते जा रहे है। इसके बाद भी संबंधित अधिकारी मनरेगा की योजनाओं को गति देने के बजाय आराम फरमाते नजर आ रहे है। वास्तविकता ये है कि बरसात के महीनों में इन तालाबों में पानी की एक बूंद तक नहीं दिखाई पड़ी है।
डलमऊ तहसील में 81 सामान्य और 48 आदर्श तालाब बनें हुए हैं। आदर्श तालाबों की हकीकत ये है कि उनकी साफ-सफाई के नाम मनरेगा योजना के अंतर्गत एक फूटी कौड़ी तक नहीं खर्च की जाती है। आदर्श हो या सामान्य सभी तालाबों के चारों ओर गंदगी और झाड़ियों से पटे हुए है। इससे जिले के कई तालाब जंगल बनते जा रहे है। सच्चाई देखनी है कि डलमऊ के पखरौली गांव के तालाब का नजारा देखिए। इस तालाब को वर्ष 2009-10 में आदर्श तालाब के रूप में बनवाया गया। वहीं तालाब के मेन गेट का हिस्सा टूटा हुआ पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि देखरेख न होने से चोरों ने गेट को तोड़ बेच दिया है। मॉडल तालाब तो बना लेकिन देखरेख की कमी के चलते मात्र तीन साल में ही तालाब की हालत बदतर हो गई। तालाब में बैठने के लिए बनी सभी सीटें टूट चुकी है। बाउंड्रीवाल का कुछ पता तक नहीं है।
ऐसे में आदर्श तालाब अपनी वास्तविकता खोकर जंगल बनता जा रहा है। इन स्थितियों को जानने के बाद संबंधित अधिकारी आराम फरमाते दिख रहे है।
सीडीओ बोले
'आदर्श तालाब में की स्थितियों में जल्द सुधार करने के लिए निरीक्षण कराया जाएगा। इसके साथ ही बीडीओ से जांच रिपोर्ट भी मांगी जाएगी।'
हुब लाल, मुख्य विकास अधिकारी, रायबरेली।
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