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    Maha Kumbh 2025: राष्ट्र और धर्म के प्रति युवाओं में दिखी ऐसी आस्था, खिल गया हर देखने वाले का मन

    Maha Kumbh 2025 महा कुंभ मेले में युवाओं का उत्साह देखते ही बनता है। वे अपने हाथों में तिरंगा और धर्म ध्वज लहराते हुए राष्ट्र और धर्म के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह दृश्य यह दर्शाता है कि आज के युवा पारंपरिक धर्म और आधुनिक राष्ट्रवाद के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

    By mritunjay mishra Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 06 Feb 2025 04:31 PM (IST)
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    Maha Kumbh 2025: राष्ट्र और धर्म के प्रति आस्था का प्रतीक बना राष्ट्रीय ध्वज और धर्म ध्वजा। जागरण

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025: महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है जहां आस्था, भक्ति और संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत चित्रण भी है।

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    इस बार महाकुंभ में युवाओं की टोलियां विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रही है। इस नए दृष्टिकोण के साथ, धर्म और राष्ट्र का एक नया संगम देखने को मिल रहा है। युवा अपनी परंपराओं का सम्मान करते हुए सशक्त, एकजुट और आस्थापूर्ण भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं।

    इन युवाओं के हाथों में लहराता तिरंगा और धर्म ध्वज न केवल उनके उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक हैं, बल्कि यह राष्ट्र और धर्म के प्रति उनकी गहरी आस्था और समर्पण को भी दर्शाता है।

    प्रदर्शित कर रहे राष्ट्र और धर्म दोनों के प्रति अपनी श्रद्धा

    नोएडा से आए विपिन और उनके साथियों ने जब यह बताया कि वे केवल पहचान के लिए ध्वज नहीं लहरा रहे, बल्कि राष्ट्र और धर्म दोनों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शित कर रहे हैं, तो यह एक गहरी भावनात्मक और विचारशील दृष्टि को सामने लाता है।

    युवाओं का यह उत्साह दर्शाता है कि उनकी आस्था केवल व्यक्तिगत आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि वे इसे राष्ट्रीय भावना और सामूहिक चेतना के साथ जोड़कर देख रहे हैं। विपिन कहते हैं कि भारत एक विविधता से भरा देश है, जहां अनेक धर्म, संप्रदाय और संस्कृतियां सह-अस्तित्व में हैं। धर्म ध्वजा धर्म और परंपरा का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि राष्ट्रीय ध्वज पूरे देश की एकता, अखंडता और गौरव का प्रतीक है।

    गाजीपुर से आए राजेश कुमार मिश्र अपने समूह के साथ धर्म ध्वजा जिसमें हनुमान जी का चित्र बना है, को लेकर चलते हैं। साथ में वह तिरंगा भी लहराते हैं। राजेश कहते हैं कि तिरंगा भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता का प्रतीक है, जब धर्म ध्वजा के साथ लहराता है तो यह स्पष्ट करता है कि भारत की आध्यात्मिक विरासत और राष्ट्रवाद एक साथ मिलकर चलते हैं।

    महाकुंभ पहुंचे युवाओं का धर्म और राष्ट्र के प्रति आस्था को प्रदर्शित करने का यह तरीका बताता है कि आज के युवा पारंपरिक धर्म और आधुनिक राष्ट्रवाद के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। वे यह समझते हैं कि धार्मिक आस्था व्यक्ति की निजी आस्था हो सकती है, लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम और समर्पण हर नागरिक का कर्तव्य है।