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    Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत 26 को या 27 को? दिन फाइनल; जानें स्नान-दान से लेकर महत्व और शुभ मुहूर्त

    Updated: Sun, 18 May 2025 05:06 PM (IST)

    ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत का महत्व है। इस दिन महिलाएं सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस बार 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा और 27 मई को स्नान-दान होगा। तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। गरीबों को भोजन कराने छाता जल भरा घड़ा फल का दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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    Vat Savitri Vrat 2025 : वट सावित्री व्रत 26 को, स्नान-दान की अमावस्या 27 मई को मनाएं।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। ज्येष्ठ मास की अमावस्या सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।सुख-समृद्धि व अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं व्रत रखकर वट सावित्री व्रत का पूजन करतीं हैं। पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण-पिंडदान और दान की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्य व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख लाते हैं।

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    भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। अमावस्या को लेकर अबकी असमंजय की स्थिति है। वट सावित्री व्रत कब करें? स्नान-दान कब करना उचित रहेगा? उसे लेकर लोगों में ऊहापोह बना है। सनातन धर्म के मर्मज्ञ उसका निदान करते हुए बताते हैं कि 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा, स्नान-दान 27 मई को होगा।

    ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या 26 मई की सुबह 10.54 बजे आरंभ होकर 27 मई की सुबह 8.31 बजे तक रहेगी। वट सावित्री व्रत में शाम को अमावस्या होना अनिवार्य है। इसमें उदया तिथि का मान नहीं होता। ऐसे में 26 मई को वट सावित्री व्रत रखकर पूजन किया जाएगा। वहीं, 27 मई को पवित्र नदियों में स्नान करके दान करना पुण्यकारी रहेगा।

    तीर्थ में स्नान-दान से मिलेगा अक्षय पुण्य

    पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार जेष्ठ अमावस्या पर किसी तीर्थ स्थल में पवित्र नदियाें में स्नान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलने के साथ अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र निदयों में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।

    इसके बाद पितरों की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करना चाहिए। महिलाएं पीपल के पेड़ पर जल, अक्षत, सिंदूर, आदि चढ़ाकर दीपक जलाएं। कम से कम सात या 11 बार पेड़ की परिक्रमा करें। पूजन के बाद शनि मंदिर जाकर शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले फूल अर्पित करना चाहिए। गरीबों को भोजन कराने, छाता, जल भरा घड़ा, फल का दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।