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    Vande Bharat का नया डिपो प्रयागराज के सूबेदारगंज में बनेगा, यहां से नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी, यात्रियों को मिलेगी सुविधा

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:55 PM (IST)

    प्रयागराज में वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव के लिए सूबेदारगंज में एक नया डिपो बनाया जाएगा। इससे ट्रेनों की सफाई मरम्मत और रखरखाव का काम होगा जिससे प्रयागराज से नई वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया है मंजूरी मिलते ही निर्माण शुरू हो जाएगा। डिपो बनने से प्रयागराज से लखनऊ कानपुर जैसे शहरों के लिए नई वंदे भारत ट्रेनें चल सकेंगी।

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    प्रयागराज के सूबेदारगंज में वंदे भारत डिपो बनने से रेल संपर्क बढ़ेगा।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। भारतीय रेलवे की सबसे तेज और आधुनिक ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस अब प्रयागराज से और ज्यादा मजबूती के साथ जुड़ने वाली है। सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन के पास स्लीपर प्लांट के बगल में वंदे भारत का एक नया डिपो बनाया जाएगा। यहां ट्रेनों की सफाई, रखरखाव और मरम्मत का सारा काम होगा, जिससे प्रयागराज से नई वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। जगह चिह्नित हो चुकी है और प्रयागराज मंडल ने रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेज दिया है। बोर्ड की मंजूरी मिलते ही निर्माण शुरू हो जाएगा।

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    यह अच्छी खबर यात्रियों के लिए है। अभी प्रयागराज जंक्शन से चार वंदे भारत ट्रेनें गुजरती हैं। दो दिल्ली-वाराणसी, एक दिल्ली-गोरखपुर और एक दिल्ली-आगरा के बीच। इनका प्राथमिक रखरखाव यहां नहीं हो पाता। ट्रेनें अन्य शहरों जैसे दिल्ली या वाराणसी के डिपो पर निर्भर रहती हैं। इससे समय लगता है और स्थानीय यात्रियों को अपनी कोई वंदे भारत ट्रेन नहीं मिल पाई। डिपो बनने से यह समस्या दूर हो जाएगी। प्रयागराज से लखनऊ, कानपुर या अन्य शहरों के लिए नई रूट्स पर वंदे भारत चल सकेंगी, जिससे यात्रा समय कम होगा और सुविधाएं बढ़ेंगी।

    वंदे भारत एक्सप्रेस की विशेषताएं

    वंदे भारत को 'ट्रेन 18' भी कहा जाता है। यह पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' का प्रोडक्ट है, जो चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाई जाती है। इसकी खासियतें इसे सामान्य ट्रेनों से अलग बनाती हैं। यह इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) ट्रेनसेट है, यानी इसमें अलग से इंजन नहीं लगता। पूरी ट्रेन खुद चलती है, जो इसे हल्का और तेज बनाती है। अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है, लेकिन सामान्य संचालन में 130-160 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ती है। ट्रायल में यह 0 से 100 किमी/घंटा की स्पीड सिर्फ 52 सेकंड में पा लेती है, जो कई हाई-स्पीड ट्रेनों से भी तेज है।

    यात्रियों को मिलती है सुविधा 

    ट्रेन में 16 से 20 कोच होते हैं, सभी एयर-कंडीशंड चेयर कार। सीटें घूमने वाली हैं, ताकि यात्रा आरामदायक हो। बड़ी-बड़ी खिड़कियां से बाहर का नजारा मजेदार लगता है। वाई-फाई, मोबाइल चार्जिंग, बायो-वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। सुरक्षा के लिए 'कवच' सिस्टम लगा है, जो ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देता है अगर कोई खतरा हो। आग लगने पर एरोसोल-बेस्ड फायर सप्रेशन सिस्टम काम करता है। खाने की सर्विस भी ऑनबोर्ड किचन से होती है, जो ताजा और हाइजीनिक रहता है। टिकट की कीमत 700 से 3000 रुपये तक होती है, जो दूरी पर निर्भर करती है।

    रखरखाव की खास जरूरत

    भारत में अब 50 से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, जो शताब्दी और राजधानी को रिप्लेस करने वाली हैं। हालांकि इनकी तेज रफ्तार और हाई-टेक फीचर्स के कारण रखरखाव खास होना जरूरी है। सामान्य डिपो में ये सुविधाएं नहीं होतीं।

    डिपो क्यों है जरूरी

    वंदे भारत जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन का रखरखाव आसान नहीं। इसमें हाई-वोल्टेज इलेक्ट्रिक सिस्टम, एडवांस्ड ब्रेकिंग (रिजनरेटिव ब्रेकिंग जो ऊर्जा बचाती है) और सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम होता है। रोजाना सफाई, साप्ताहिक चेक-अप और हर 15 दिन में प्राथमिक रखरखाव (POH - पीरियोडिक ओवरहॉलिंग) जरूरी है। POH में कोच को पूरी तरह खोलकर चेक किया जाता है। प्रोपल्शन सिस्टम, ब्रेक, एसी, दरवाजे सब। यह काम 25-30 दिनों का होता है।

    पहले हावड़ा में बनना था डिपो, अब प्रयागराज में

    अभी प्रयागराज में ऐसी सुविधा न होने से ट्रेनें दूर के डिपो जाती हैं। इससे देरी होती है और ट्रेनें कम चल पाती हैं। रेलवे बोर्ड ने ढाई साल पहले (2023 में) प्रयागराज में डिपो बनाने का आदेश दिया था, लेकिन जगह की कमी से फाइल अटकी रही। पहले प्रयागराज जंक्शन के हावड़ा छोर पर प्लान था, लेकिन अब सूबेदारगंज शिफ्ट हो गया। यहां स्लीपर प्लांट के पास 600 मीटर से ज्यादा जगह उपलब्ध है, जो डिपो के लिए परफेक्ट है।

    सूबेदारगंज डिपो में क्या-क्या होगा

    यह डिपो वंदे भारत के लिए स्पेशल होगा। इसमें प्री-इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी वर्कशॉप होगी, जहां हाई-टेक टूल्स से मरम्मत होगी। सेंट्रलाइज्ड वर्कशॉप में सभी कोच एक साथ चेक हो सकेंगे। ट्रेनिंग सेंटर में रेलवे स्टाफ को वंदे भारत की ट्रेनिंग दी जाएगी, ICF चेन्नई या मुंबई कोचिंग यार्ड की तरह। ट्रैक्शन सिस्टम (मोटर और इलेक्ट्रिक पार्ट्स) की देखभाल के लिए अलग से होगा। आग से बचाव के लिए सेंसर और एरोसोल सिस्टम टेस्टिंग होगी। POH के लिए अलग शेड बनेगा, जहां ट्रेन को पूरी तरह ओवरहॉल किया जा सकेगा। डिपो में 3-4 पिट लाइनें होंगी, ताकि एक साथ कई ट्रेनें सर्विस हो सकें। कुल मिलाकर, यह डिपो 288 करोड़ रुपये जैसी लागत वाले अन्य डिपो (जैसे पुरी के मालतीपतपुर) की तर्ज पर बनेगा।

    देशभर में वंदे भारत डिपो : प्रयागराज का योगदान

    भारत में वंदे भारत डिपो तेजी से बढ़ रहे हैं। जोधपुर के भगत की कोठी में पहला डिपो बन रहा है (2025 के अंत तक तैयार), जहां पूरे देश की ट्रेनें सर्विस होंगी। साउथ सेंट्रल रेलवे में तेल्लापुर, चेरलापल्ली और तिरुपति में तीन नए डिपो प्लान हैं। मुंबई के वाड़ी बंडर में 8-लाइन सुविधा है, जबकि तिरुचि के गोल्डन रॉक वर्कशॉप में मेजर मेंटेनेंस हो रहा है। प्रयागराज का डिपो उत्तर भारत में महत्वपूर्ण होगा, खासकर महाकुंभ 2025 के लिए, जब लाखों यात्री आएंगे। सूबेदारगंज स्टेशन को सैटेलाइट हब बनाने का प्लान भी है, जहां 24 ट्रेनें रुकेंगी।

    यात्रियों और रेलवे दोनों को लाभ

    डिपो से प्रयागराज मंडल को अपनी पहली वंदे भारत मिलेगी। यात्रा समय 15-20% कम होगा। रोजगार बढ़ेगा – 200-300 नौकरियां पैदा होंगी। पर्यावरण के लिए अच्छा, क्योंकि वंदे भारत इलेक्ट्रिक है और कम कार्बन उत्सर्जन करती है। महाकुंभ के दौरान स्पेशल ट्रेनें चलेंगी, बिना रखरखाव की चिंता के।

    क्या कहते हैं रेलवे के अधिकारी

    एनसीआर के प्रयागराज मंडल के पीआरओ अमित कुमार सिंह का कहना है कि वंदे भारत के लिए सूबेदारगंज में स्लीपर प्लांट के पास डिपो बनेगा। जगह चिह्नित है और प्रस्ताव तैयार। बोर्ड से मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा। यह प्रयागराज को रेल हब बनाएगा। यह डिपो न सिर्फ ट्रेनों को मजबूत बनाएगा, बल्कि प्रयागराज को रेलवे का नया केंद्र। जल्द ही वंदे भारत की सवारी यहां से शुरू होगी, जो यात्रियों के सपनों को पंख देगी।