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    UPPSC Protest: छात्रों की जिद के आगे झुका आयोग, चार दिन बाद पूरी हुई मांग; पढ़ें कब-क्या हुआ

    Updated: Thu, 14 Nov 2024 05:12 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ की परीक्षा को एक दिन एक शिफ्ट में कराने की मंजूरी दे दी है। छात्रों के जोरदार प्रदर्शन के आगे आयोग को झुकना पड़ा। आंदोलन के चलते आयोग ने गुरुवार को एक बैठक में यह निर्णय लिया है। छात्र पिछले चार दिनों से आयोग कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे थे।

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    छात्रों की जिद के आगे झुका आयोग

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप्र लोक सेवा आयोग ने उप्र पीसीएस प्री 2024 को एक ही दिन में कराने की प्रतियोगी युवाओं की मांग मान ली है और समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) भर्ती परीक्षा 2023 को स्थगित कर दिया है। इस निर्णय की घोषणा आयोग के सचिव ने गुरुवार शाम को की।

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    प्रयागराज में छात्र पिछले चार दिनों से आयोग कार्यालय के सामने नॉर्मलाइजेशन और दो शिफ्ट में होने वाली परीक्षाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़े हुई थे। बुधवार को प्रदर्शन की यह चिंगारी लखनऊ तक भी पहुंची। लखनऊ विश्वविद्यालय में भी छात्रों का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। आइए इस खबर में जानते हैं कि बीते चार दिनों में क्या-क्या हुआ। 

    पहला दिन

    सोमवार सुबह लगभग 10:30 बजे सैकड़ों छात्र आयोग के सामने प्रदर्शन के लिए एकत्र होने लगे। कुछ ही समय में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ गई और वे सरकार व पुलिस के खिलाफ नारे लगाने लगे। करीब 11:30 बजे छात्रों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की शुरू हुई।

    दोपहर 12 बजे प्रदर्शन उग्र हो गया। छात्रों ने लोक सेवा आयोग की ओर कूच करते हुए बैरिकेडिंग तोड़ दी। लगभग 12:30 बजे वे आयोग अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर एकत्र हो गए। स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई। इस दौरान अखिलेश यादव का रिएक्शन भी सामने आया। 

    इसके बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि पीसीएस-प्री (प्रारंभिक) परीक्षा शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही निर्धारित तिथि सात और आठ दिसंबर को और आरओ-एआरओ परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी।

    दूसरा दिन

    प्रयागराज में दूसरे दिन भी छात्रों का प्रदर्शन जारी रहा, जहां सैकड़ों छात्र उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर इकट्ठा हुए। पुलिस ने इस बार सुरक्षा व्यवस्था और पीएसी बल में बढ़ोतरी कर अपनी रणनीति में बदलाव किया। प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों ने राष्ट्रगान से की।

    सुबह जिलाधिकारी और कमिश्नर छात्रों से मिलने पहुंचे और लाउडस्पीकर के जरिए छात्रों से संवाद किया। उन्होंने छात्रों से शांतिपूर्ण तरीके से अपने प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से आयोग के अधिकारियों के समक्ष अपनी बातें रखने की अपील की, और बार-बार प्रदर्शन समाप्त करने का अनुरोध किया।

    तीसरा दिन

    तीसरे दिन भी प्रदर्शन पर अड़े छात्रों को लोक सेवा आयोग तक पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस ने जोरदार कोशिश की। उनके पते व मोबाइल नंबर नोट किए जाने लगे, जिस पर छात्र भिड़ गए। देर तक हंगामा चलता रहा।दिल्ली, लखनऊ और अन्य प्रदेशों से भी प्रतियोगी छात्र इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचने लगे।

    48 घंटे से आयोग के बाहर डटे प्रतियोगी छात्रों ने कहा कि दो दिवसीय परीक्षा की प्रणाली से उनके साथ अन्याय हो रहा है। इससे परिणामों में भिन्नता आ सकती है और नार्मलाइजेशन प्रक्रिया में विसंगतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे सही मूल्यांकन नहीं हो सकेगा।

    कुछ छात्रों ने सीएम योगी के खिलाफ नारेबाजी की, जिसका प्रदर्शनकारी छात्रों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ दो दिवसीय परीक्षा और नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ है, इसे राजनीति से ना जोड़ा जाए। आंदोलनकारियों ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल होकर आंदोलन को उग्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

    चौथा दिन

    पुलिस ने आयोग जाने वाले सभी रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया था। प्रतियोगी छात्रों को रोकने के लिए सैकड़ो पुलिस कर्मी तैनात थे पर आक्रोशित छात्रों ने पुलिस की दो स्तरीय बैरिकेडिंग को तहस-नहस करते हुए फिर से आयोग पहुंच गए। 

    प्रतियोगी छात्रों की भीड़ लगातार बढ़ती चली जा रही है। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों ने प्रतियोगी छात्रों के साथ अभद्रता कर दी। इसकी वजह से पुलिस और आंदोलनकारी के बीच टकराव के हालात बन गए।