UPPSC का बड़ा फैसला, अब परीक्षा में गड़बड़ी पर सीधे लगेगा 10 गुना जुर्माना; हर गड़बड़ी पर बढ़ेगी राशि
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने परीक्षाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बायोमीट्रिक सत्यापन प्रणाली को अनिवार्य किया है। किसी केंद्र पर फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैनिंग में गड़बड़ी मिलने पर जिम्मेदार एजेंसी पर छात्रों की संख्या के आधार पर 10 गुना जुर्माना लगेगा। बार-बार गड़बड़ी पर जुर्माना बढ़ेगा और एजेंसी को ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा। आयोग पहले भी ऐसी कार्रवाई कर चुका है।

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ी पहल की है। यदि किसी परीक्षा केंद्र पर बायोमीट्रिक सत्यापन में गड़बड़ी पाई जाती है, तो इसके लिए परीक्षा संचालन का दायित्व संभालने वाली एजेंसी जिम्मेदार मानी जाएगी और इसके लिए उसे 10 गुणा जुर्माना भरना होगा।
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के प्रविधानों के अनुपालन में आयोग ने परीक्षा के दौरान बायोमीट्रिक व्यवस्था लागू की है। इसमें प्रत्येक परीक्षार्थी की बायोमीट्रिक पहचान यानी फिंगरप्रिंट और आइरिस (आंख की पुतली) कैप्चरिंग शामिल है। इस प्रक्रिया में गड़बड़ी या लापरवाही मिलने पर एजेंसी को उस केंद्र पर उपस्थित छात्रों की कुल संख्या और प्रति छात्र दिए भुगतान के आधार पर दस गुणा जुर्माना देना होगा।
उदाहरण के तौर पर किसी केंद्र पर 300 छात्र उपस्थित हैं और एजेंसी को प्रति छात्र 54 रुपये का भुगतान किया गया है, तो कुल भुगतान 16,200 रुपये हुआ। अब इसका दस गुणा करने पर 1,62,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। आयोग का मानना है कि बायोमीट्रिक सत्यापन प्रणाली सख्ती से लागू करने से फर्जी अभ्यर्थी पकड़ में आएंगे और परीक्षा की पवित्रता बनी रहेगी।
हर गड़बड़ी पर बढ़ती जाएगी जुर्माने की राशि
यदि एक से अधिक गड़बड़ियां पाई जाती हैं, तो जुर्माने की राशि भी बढ़ती जाएगी। एक बायोमीट्रिक गड़बड़ी पर 10 गुणा जुर्माना, दो गड़बड़ियों पर 20 गुणा, तीन पर 30 गुणा और इसी तरह यह उत्तरोत्तर बढ़ता रहेगा। हालांकि इसके बाद जुर्माने के साथ एजेंसी को सदैव के लिए कालीसूची में डाल दिया जाएगा। यह निर्णय एजेंसियों की जवाबदेही तय करने के लिए किया गया है ताकि वे अपने कार्य को गंभीरता से लें।
एजेंसी पर लग चुका है जुर्माना
आयोग ने इस नीति के तहत पूर्व में एक परीक्षा पर सख्त कार्रवाई कर चुका है। जब एक परीक्षा केंद्र पर ब्लूटूथ डिवाइस पकड़ी गई थी, तब उस केंद्र की जिम्मेदार एजेंसी पर छात्रों की संख्या के आधार पर तीन लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था।
नई व्यवस्था के अनुसार परीक्षा केंद्रों पर बायोमीट्रिक उपकरणों का सही ढंग से काम करना, प्रत्येक अभ्यर्थी का सत्यापन प्रक्रिया में सम्मिलित होना, किसी गड़बड़ी को रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियां सुनिश्चित करने की जिम्मेदारियां एजेंसी की होंगी। कोई गड़बड़ी सामने आने पर माना जाएगा कि एजेंसी ने अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती है, जिसके लिए कार्रवाई की जाएगी।
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