Move to Jagran APP

UP News: इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, डायट में डीएलएड के लिए इंटरमीडिएट पास अभ्यर्थी भी ले सकेंगे प्रवेश

हाईकोर्ट ने डायट के दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए स्नातक की अनिवार्यता को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट है और राज्य सरकार ने अर्हता को दो भागों में बांटते हुए स्पेशल शिक्षा कोर्स के लिए इंटरमीडिएट और सरकारी संस्थाओं जैसे डायट में प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश के लिए स्नातक अनिवार्य कर दिया है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 02 Oct 2024 11:27 AM (IST)
Hero Image
पाठ्यक्रम के स्पेशल कोर्स की अहर्ता अब भी इंटर है। जागरण

 विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट की जगह स्नातक करने संबंधी राज्य सरकार के नौ सितंबर 2024 के शासनादेश का क्लाज चार असंवैधानिक करार देते हुए रद कर दिया है।

कोर्ट ने राज्य सरकार के निर्णय को असंवैधानिक, मनमाना व भेदभावपूर्ण करार दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने यशांक खंडेलवाल और नौ अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा, पूरे देश में डीएलएड प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट है और राज्य सरकार ने अर्हता को दो भागों में बांटते हुए स्पेशल शिक्षा कोर्स के लिए इंटरमीडिएट और सरकारी संस्थाओं जैसे डायट में प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश के लिए स्नातक अनिवार्य कर दिया है।

इसे भी पढ़ें-यूपी में गोरखपुर-बरेली सहित कई जिलों में छाए रहेंगे बादल

राज्य सरकार का कहना था कि प्रवेश प्रक्रिया जारी है, इसलिए बीच में बदलाव सही नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिका 26 जुलाई को दाखिल की गई है और प्रवेश प्रक्रिया 18 सितंबर से 12 दिसंबर तक चलेगी। इसलिए इंटरमीडिएट अर्हता रखने वाले याचियों को प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए।

नौ सितंबर 2024 के शासनादेश को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि डायट द्वारा संचालित डीएलएड दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट से बढ़ाकर स्नातक कर दी गई है जबकि दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने का प्रशिक्षण डीएलएड (स्पेशल कोर्स) की अर्हता इंटरमीडिएट ही है।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में इसी पाठ्यक्रम में प्रवेश की योग्यता 50 प्रतिशत अंक के साथ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण है। इस आदेश से कुछ वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव होगा जो डीएलएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं क्योंकि इसी पाठ्यक्रम के स्पेशल कोर्स की अहर्ता अब भी इंटर है। पुरानी व्यवस्था से तीन वर्ष में सहायक अध्यापक की नियुक्ति की जा सकती है। नई व्यवस्था में अभ्यर्थियों का दो वर्ष का समय अतिरिक्त देना होगा।

इसे भी पढ़ें- साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आज, सूतक काल नहीं होगा मान्‍य

सरकार ने कहा, उसे उच्च योग्यता निर्धारित करने का अधिकार

राज्य सरकार का कहना था कि उसे एनसीटीई द्वारा तय योग्यता से उच्च योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है, इसमें कोई अवैधानिकता नहीं है। यह नीतिगत निर्णय है जिसका न्यायिक पुनरावलोकन संभव नहीं है। न्यायिक पुनरावलोकन तभी हो सकता है, जब आदेश असंवैधानिक हो।

कोर्ट ने कहा, ‘इस बात में कोई विवाद नहीं है कि प्राइवेट संस्थानों में इसी पाठ्यक्रम की अहर्ता इंटरमीडिएट है। राज्य सरकार द्वारा डीएलएड और डीएलएड स्पेशल कोर्स के लिए अलग-अलग योग्यता तय करना वर्ग के भीतर वर्ग उत्पन्न करना है जबकि दोनों पाठ्यक्रमों में कोई तात्विक फर्क नहीं है।’ कोर्ट ने कहा, ‘कानून व नीति के विपरीत कार्यपालक नीति नहीं हो सकती।’

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें