यूपी में तीन हजार वकीलों पर चल रहे आपराधिक मुकदमे, हाई कोर्ट मांगी जिलेवार सूची
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में वकीलों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमों पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों से ऐसे वकीलों की जिले ...और पढ़ें

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने बताया कि प्रदेश में लगभग तीन हजार अधिवक्ताओं पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। कोर्ट ने प्रदेश भर के वकीलों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का ब्योरा तलब किया था।
इसके अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को हलफनामा दाखिल किया गया। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने अगली सुनवाई पर जिलेवार सूची प्रस्तुत करने को कहा है।
मंगलवार को अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष कुमार मालवीय ने कोर्ट को अवगत कराया कि अब तक की जांच में लगभग तीन हजार वकीलों पर चल रहे मुकदमों की जानकारी हुई है। यह संख्या अंतिम नहीं है। अभी और जानकारी एकत्र की जा रही है।
डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामे में वकीलों का अपराधिक इतिहास प्रस्तुत किया गया जबकि डीजी अभियोजन के हलफनामे में मुकदमों के ट्रायल की जानकारी दी गई। कोर्ट ने 15 दिसंबर को सारी जानकारी देने का निर्देश दिया है।
साथ ही याची को इस मामले में यूपी बार कौंसिल को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि याची स्वयं गैंगस्टर एक्ट सहित कई आपराधिक मामलों में शामिल है और उसके भाई कुख्यात अपराधी हैं।
कोर्ट ने वकीलों के आपराधिक पृष्ठभूमि के न्याय प्रशासन पर प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी विशिष्ट संस्थागत स्थिति रखते हैं। वे कोर्ट के अधिकारी भी हैं और पेशेवर नैतिकता के संरक्षक भी।
जब गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति कानूनी प्रणाली में प्रभाव वाले पदों पर होते हैं तो यह वैध चिंता का विषय है कि वे पेशेवर वैधता की आड़ में पुलिस अधिकारियों और न्यायिक प्रक्रियाओं पर अनुचित प्रभाव डाल सकते हैं।
कोर्ट ने सभी कमिश्नर/एसएसपी/एसपी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को यूपी बार कौंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का व्यापक विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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