बिछेगी चौसर व गिल्ली-डंडा जमाएगा रंग, ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक खेलों के अस्तित्व बचाने की अनूठी पहल
प्रयागराज में 100 पारंपरिक ग्रामीण खेलों को पुनर्जीवित करने की पहल की जा रही है। उत्तर प्रदेश खेल प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं का उद्देश्य ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा देना है। रवि तिवारी को संयोजक बनाया गया है। वह इन खेलों को मिशन मोदी अगेन पीएम के खेल आयाम का हिस्सा बनाएंगे।

अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। ग्रामीण क्षेत्र के पारंपरिक खेलों का अस्तित्व बचाने के लिए अनूठी पहल हो रही है। प्रयागराज में गिल्ली-डंडा, लट्टू, रस्सी कूद, कंचा-गोली, चौसर, आइस-पाइस जैसे 100 पारंपरिक ग्रामीण खेलों को पुन: जीवंत किया जाएगा। ये खेल कभी गांवों की गलियों में बच्चों और बड़ों के उत्साह का पर्याय थे, अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।
ग्रामीण संस्कृति को जीवंत करने के लिए नई पीढ़ी को इन खेलों से जोड़ने का बीड़ा उत्तर प्रदेश खेल प्रकोष्ठ ने उठाया है। उत्तर प्रदेश खेल प्रकोष्ठ प्रयागराज में खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले रवि तिवारी को इसका संयोजक बनाया गया है। जो इसे मिशन मोदी अगेन पीएम के खेल आयाम का हिस्सा बनाएंगे।
इन प्रतियोगिताओं में बैलगाड़ी दौड़, ठेलिया दौड़, पैदल चाल, लाठी की पटेबाजी, नहर में तैराकी, कुएं से पानी भरना, दूधिया साइकिल रेस, पंच-सरपंच दौड़, कुल्लड़ बनाने की प्रतियोगिता, बोरे लादने-चढ़ाने की स्पर्धा, सुई में धागा डालना, पगड़ी बांधना, रंगोली जैसे अनूठे खेल शामिल होंगे।
आयोजन को लेकर 27 सदस्यीय कार्यकारिणी गठित होगी। इसमें जनप्रतिनिधि, कोच, वरिष्ठ खिलाड़ी और खेल प्रेमी शामिल होंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि यह पहल व्यापक स्तर पर जन-जन तक पहुंचे। रवि तिवारी ने बताया कि ग्रामीण भारत के इन खेलों का इतिहास समृद्ध और प्राचीन है, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में स्मृतियों में सिमट गए हैं।
यह आयोजन न केवल खेलों को जीवित रखेगा, बल्कि ग्रामीण संस्कृति को नई पीढ़ी से जोड़कर सामाजिक एकता को मजबूत करेगा। जिले में शेड्यूल तैयार किया जा रहा है। सितंबर-अक्टूबर में प्रतियोगिताओं का भव्य स्वरूप सामने आएगा। यह पहल ग्रामीण भारत की आत्मा को फिर से जीवंत करने का एक शानदार प्रयास है, जो परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु बनाएगा।
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