इंदिरा मैराथन में 38 वर्ष से अटूट रिकार्ड, एथेलीट स्वरूप सिंह और सत्यभामा का जादू बरकरार, यहां देखें आंकड़े
प्रयागराज की इंदिरा मैराथन में 38 साल से स्वरूप सिंह और सत्यभामा का रिकॉर्ड अटूट है। 1986 में स्वरूप सिंह ने 2 घंटे 13 मिनट 57 सेकेंड का समय निकालकर इतिहास रचा था। वहीं, सत्यभामा ने 1996 में 2 घंटे 44 मिनट 40 सेकेंड का रिकॉर्ड बनाया था। आधुनिक सुविधाओं के बावजूद कोई भी इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया है। हर साल धावक आते हैं, कोशिश करते हैं, पर रिकॉर्ड जस का तस बना रहता है।

प्रयागराज में आयोजित इंदिरा मैराथन में दो एथलीटों का अटूट रिकार्ड है, जिसे 38 वर्ष बाद भी कोई नहीं तोड़ सका।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। एक ऐसा रिकार्ड जो 38 सालों से हर धावक की पहुंच से बाहर है। न उच्च तकनीक, न आधुनिक सुविधाएं, सिर्फ जुनून की आग ने स्वरूप सिंह को वर्ष 1986 में अमर बना दिया। उन्होंने इंदिरा मैराथन की 42.195 किलोमीटर की दूरी महज 2 घंटे 13 मिनट 57 सेकेंड में पूरी कर इतिहास रच दिया।
नहीं टूट सका दोनों एथलीटों का रिकार्ड
आज, जब ट्रेनिंग एप्स, स्पोर्ट्स गियर और वैज्ञानिक तरीके धावकों के साथ हैं, तब भी कोई उनके रिकार्ड को छू नहीं सका है। यही हाल महिलाओं में सत्यभामा का है, जिन्होंने वर्ष 1996 में 2 घंटे 44 मिनट 40 सेकेंड का कीर्तिमान गढ़ा। 29 साल बीत गए, सैकड़ों कोशिशें हुईं, लेकिन रिकार्ड अडिग है।इंदिरा मैराथन, प्रयागराज की यह प्रतिष्ठित दौड़, हर साल हजारों धावकों को ललचाती है, मगर ये दो नाम चुनौती बनकर खड़े हैं। वर्ष 2025 का संस्करण आने वाला है, क्या इस बार कोई चमत्कार होगा?
...तब आज जैसी व्यवस्थाएं नहीं थीं
यह कहानी सिर्फ समय की नहीं, इंसानी हौंसले की है। वर्ष 1986 में स्वरूप सिंह ने जब रिकार्ड बनाया, तब मैराथन में न जीपीएस ट्रैकर थे, न एनर्जी ड्रिंक्स की भरमार। बस कच्ची सड़कें, धूल भरी हवाएं और अटूट इरादा। उसके बाद कई दिग्गज आए।
इन एथलीटों का भी देखें रिकार्ड
वर्ष 2007 में राम सिंह यादव ने 2 घंटे 18 मिनट 20 सेकेंड में फिनिश किया, रिकार्ड से करीब 5 मिनट पीछे। 2018 में वीएस धोनी 2 घंटे 19 मिनट 11 सेकेंड पर रुके। 2008 का दीप चंद्र शरण 2 घंटे 19 मिनट 34 सेकेंड में समाप्त हुए, और 2022 में शेर सिंह ने 2 घंटे 20 मिनट 11 सेकेंड का समय लिया। हर बार धावक रिकार्ड के नजदीक पहुंचे, लेकिन उसे पार नहीं कर सके। पुरुष वर्ग में न्यूनतम अंतर 10 मिनट का रहा, जो इन कीर्तिमानों की मजबूती बताता है।
सोनिका भी इनका नहीं तोड़ सकीं रिकार्ड
महिलाओं की दुनिया में सत्यभामा का जादू और भी गहरा है। वर्ष 1996 में उन्होंने जो समय सेट किया, वह आज भी सर्वोच्च है। वर्ष 2024 में तो लगा था कि रिकार्ड टूटेगा। विजेता सोनिका ने 2 घंटे 45 मिनट 28 सेकेंड में दौड़ पूरी की और इतिहास की दूसरी सबसे तेज धाविका बनीं। उन्होंने शास्त्री देवी, रीना दास, सुकन्या मल, निरमाबेन और ओलंपियन सुधा सिंह जैसे नामों को पीछे छोड़ा लेकिन सत्यभामा से सिर्फ 48 सेकेंड पीछे रह गईं।
हर बार जगी थी उम्मीद...
महिलाओं में अंतर देखें तो वर्ष 1998 में शास्त्री देवी ने 2 घंटे 50 मिनट 34 सेकेंड, वर्ष 2007 में रीना दास ने 2 घंटे 51 मिनट 9 सेकेंड, वर्ष 2009 में सुकन्या मल ने 2 घंटे 49 मिनट 53 सेकेंड, वर्ष 2021 में निरमाबेन ने 2 घंटे 50 मिनट 41 सेकेंड और वर्ष 2022 में सुधा सिंह ने 2 घंटे 51 मिनट 40 सेकेंड का समय निकाला। हर बार उम्मीद जगी, मगर रिकार्ड ने सिर झुकाने पर मजबूर कर दिया।
38 वर्ष में 30 हजार धावक ले चुके भाग
इंदिरा मैराथन अब 38 वर्ष में 30 हजार से ज्यादा धावकों को देख चुकी है, लेकिन स्वरूप सिंह और सत्यभामा का रिकार्ड अजेय है। यह दौड़ प्रयागराज की शान है, जहां संगम की पवित्रता धावकों को ऊर्जा देती है। हर साल नए चेहरे आते हैं, ट्रेनिंग बेहतर होती है, मगर पुराने रिकार्ड की दीवार नहीं ढहती। 2025 में क्या कोई नया हीरो उभरेगा? धावक तैयारी कर रहे हैं, कोच रणनीति बना रहे हैं। अगर रिकार्ड टूटा, तो यह मैराथन का नया अध्याय होगा। फिलहाल, स्वरूप और सत्यभामा की कहानी प्रेरणा देती है कि जुनून तकनीक से बड़ा होता है। 19 नवंबर को 42.195 किमी वाली मैराथन का प्रयागराज की सड़कों पर फिर दौड़ का रोमांच शुरू होने वाला है, और सबकी नजरें उन अटूट कीर्तिमानों पर टिकी हैं।
इंदिरा मैराथन में सबसे तेज धावक (पुरुष वर्ग)
1. स्वरूप सिंह (1986) - 2 घंटे 13 मिनट 57 सेकेंड
2. राम सिंह यादव (2007) - 2 घंटे 18 मिनट 20 सेकेंड
3. वीएस धोनी (2018) - 2 घंटे 19 मिनट 11 सेकेंड
4. दीप चंद्र शरण (2008) - 2 घंटे 19 मिनट 34 सेकेंड
5. शेर सिंह (2022) - 2 घंटे 20 मिनट 11 सेकेंड
इंदिरा मैराथन में सबसे तेज धाविका (महिला वर्ग):
1. सत्यभामा (1996) - 2 घंटे 44 मिनट 40 सेकेंड
2. सोनिका (2024) - 2 घंटे 45 मिनट 28 सेकेंड
3. सुकन्या मल (2009) - 2 घंटे 49 मिनट 53 सेकेंड
4. शास्त्री देवी (1998) - 2 घंटे 50 मिनट 34 सेकेंड
5. निरमाबेन (2021) - 2 घंटे 50 मिनट 41 सेकेंड

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