Prayagraj News : आधे चेहरे में झटकेदार दर्द से कराहती युवती को पेन क्लीनिक से राहत, देखें नई तकनीक की विशेषता
प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (SRN Hospital) में अब ट्राईजेमिनल न्यूरालजिया से पीड़ित मरीज के इलाज की सुविधा है। यहां के पेन क्लीनिक में इसी रोग से पीड़ित एक युवती को आराम पहुंचा है। युवती पिछले करीब दो साल से आधे चेहरे और आधे सिर के दर्द से पीड़ित थी।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। आधे चेहरे और सिर का असहनीय दर्द, दो साल तक इससे पीड़ित 23 वर्षीय युवती को जब किसी अस्पताल से राहत नहीं मिली तो इच्छा होने लगी थी कि जीवन अब खत्म हो जाए। ऐसे में उम्मीद की किरण फूटी स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (SRN Hospital) में। युवती का इस अस्पताल की पेन क्लीनिक के माध्यम से इलाज हुआ। इंटरवेंशनल पेन फिजीशियन डा. अभिजीत मोहिते ने उसे देखा और रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन प्रक्रिया की सलाह दी।।
ट्राईजेमिनल न्यूरालजिया से पीड़ित थी युवती
पिछले दिनों युवती, जो दो साल से आधे चेहरे और आधे सिर के दर्द से पीड़ित थी। वह SRN Hospital के न्यूरो सर्जरी विभाग में पहुंचीं। जांच में पाया गया कि वह ट्राईजेमिनल न्यूरालजिया से पीड़ित है। इसमें मस्तिष्क की एक नस में गांठ बन जाने से चेहरा झनझनाने लगता है और सिर फोड़ू दर्द होता है। यह किसी भी सामान्य दवा से ठीक नहीं होता। मरीज को पेन क्लीनिक में भेजा गया, वहां डा. मोहिते की सलाह पर जांच हुई और युवती को राहत मिली।
क्या है नई तकनीक
इस तकनीक में फोरामेन ओवेल नामक स्थान से एक विशेष उपकरण दिमाग की उस नस (ट्राईजेमिनल गैन्ग्लियन) तक पहुंचाया जाता है और उसे संज्ञा शून्य कर दिया जाता है, जिससे रोगी को तत्काल राहत मिलती
महानगरों में है इस तकनीक की सुविधा
पेज क्लीनिक में जिस तकनीक से उसका इलाज हुआ वह अब तक महानगरों के विशेष केंद्रों में ही उपलब्ध है। प्रयागराज में इस तकनीक के पहले सफल उपयोग को मेडिकल जगत में दर्द निवारण के क्षेत्र में एक विशिष्ट उपलब्धि माना जा रहा है।
जटिल बीमारी का प्रयागराज में इलाज संभव
अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक एवं एनेस्थीसिया की विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि ट्राईजेमिनल न्यूरालजिया जैसी जटिल और कष्टदायी बीमारी का इलाज अब प्रयागराज में संभव हो पाया है। पेन क्लीनिक की यह उपलब्धि न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे क्षेत्रीय मरीजों को महानगरों पर निर्भरता से भी मुक्ति मिलेगी। यह हमारे चिकित्सकों की दक्षता और समर्पण का प्रतीक है।
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