प्रबंधकों के पास शिक्षकों का वेतन रोकने का नहीं कोई वैध आधार: इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रबंधकों को शिक्षकों का वेतन या वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को सही ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रबंधकों के पास शिक्षकों का वेतन और वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का कोई वैध आधार नहीं है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कन्नौज में सौरिख स्थित सहायता प्राप्त ऋषि भूमि इंटर कालेज के प्रबंधक, प्रधानाचार्य व शिक्षकों को नसीहत दी कि संस्थान को अखाड़ा न बनाएं। कोर्ट ने डीआइओएस के 13 अक्टूबर 2025 के आदेश को सही ठहराते हुए प्रबंधन की आपत्ति खारिज करते हुए उसकी याचिका निस्तारित कर दी है।
प्रबंधन का कहना था कि माध्यमिक स्कूलों में वार्षिक वेतन वृद्धि से पहले स्वमूल्यांकन प्रपत्र भरना अनिवार्य है, जबकि शिक्षक इससे इन्कार कर रहे थे। कोर्ट के आदेश पर उपस्थित हुए शिक्षकों में कुछ ने कहा कि वर्तमान प्रबंधक ने जबसे कार्यभार संभाला दिक्कत होने लगी। बकाया भुगतान जैसे- इंक्रीमेंट, छुट्टी आदि के लिए उन्हें पैसे देने पड़ते हैं और बिना किसी कारण वेतन काट लिया गया।
उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और मैनेजर के गुंडों ने गाली-गलौज वाली भाषा का भी इस्तेमाल किया। शिक्षकों के अधिवक्ता ने कहा कि जिनका नाम आडिट में है, उन्होंने अपने दस्तावेज डीआइओएस को दिए हैं। डीआइओएस ने कोर्ट के समक्ष माना कि प्रबंधक, प्रधानाचार्य और शिक्षकों के बीच अनबन है और इससे समस्याएं आ रही हैं। कहा, प्रबंधक और प्रधानाचार्य ने सर्विस बुक और अन्य रिकार्ड सुरक्षित नहीं रखा है। उन्होंने कालेज का दौरा किया और मीटिंग के लिए बुलाया लेकिन समस्याए हल नहीं हुईं।
प्रिंसिपल ने खुद को पीड़ित बताया
प्रिंसिपल ने खुद को पीड़ित बताया। कहा कि प्रबंधक और उनके वकील ने उन पर शिक्षकों के खिलाफ आरोप लगाने के लिए दबाव डाला। उनके अनुसार मैनेजर और उनके पति ने सभी दस्तावेज और सर्विस बुक ले ली हैं और वापस नहीं की हैं। उन्होंने शिक्षकों की सर्विस बुक में कोई प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज नहीं की है और जैसे ही मैनेजर सर्विस बुक वापस करेंगी, वह उन्हें शिक्षकों को दे देंगे। कोर्ट ने कहा, तथ्य और परिस्थितियां एडेड इंटरमीडिएट कालेजों के मैनेजमेंट की खराब हालत का जीता-जागता उदाहरण है।
संबंधित कालेज में असली पीड़ित दो हजार से ज्यादा छात्र हैं। न्यायमूर्ति ने कहा, मैंने छात्रों, शिक्षकों की संख्या, पिछले पांच वर्षों के रिजल्ट, बिल्डिंग की स्थिति जैसे कई सवाल भी पूछे, लेकिन दुर्भाग्य से मैनेजर (शिखा अग्निहोत्री) ने सही जवाब नहीं दिया, लेकिन भरोसा दिलाया कि वह प्रबंधक के तौर पर ईमानदारी से कालेज की सेवा करना चाहती हैं परंतु शिक्षक और प्रधानाचार्य उनका साथ नहीं दे रहे हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।