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    सस्पेंड दारोगा ने हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद लगाई बहाली की गुहार, पुलिस अधिकारियों ने इसलिए किया था बर्खास्त

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Wed, 20 Dec 2023 09:29 AM (IST)

    UP Police अधिवक्ता नबी हत्याकांड में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रायबरेली जेल से रिहा हुए बर्खास्त उपनिरीक्षक शैलेंद्र सिंह ने प्रयागराज में पुलिस अधिकारियों से मिलकर नौकरी में बहाल करने की गुहार लगाई है। मीडिया से भी शैलेंद्र ने कहाकि उसने पुलिस अफसरों से फरियाद की है कि उसे दोबारा विभाग की सेवा करने का मौका दिया जाए।

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    सस्पेंड दारोगा ने हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद लगाई बहाली की गुहार, पुलिस अधिकारियों ने इसलिए किया था बर्खास्त

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अधिवक्ता नबी हत्याकांड में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रायबरेली जेल से रिहा हुए बर्खास्त उपनिरीक्षक शैलेंद्र सिंह ने प्रयागराज में पुलिस अधिकारियों से मिलकर नौकरी में बहाल करने की गुहार लगाई है।

    मीडिया से भी शैलेंद्र ने कहाकि उसने पुलिस अफसरों से फरियाद की है कि उसे दोबारा विभाग की सेवा करने का मौका दिया जाए। मूल रूप से आंबेडकर नगर जनपद में राजे सुल्तानपुर के तिहाइतपुर गांव निवासी उपनिरीक्षक शैलेंद्र सिंह की वर्ष 2015 में शंकरगढ़ थाने में तैनाती थी।

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    उसी दौरान 11 मार्च 2015 को जिला न्यायालय परिसर में दारोगा शैलेंद्र सिंह और अधिवक्ता नबी अहमद के बीच झड़प हो गई। आरोप है कि दारोगा ने सरकारी पिस्टल से गोली मारकर अधिवक्ता नबी की हत्या कर दी।

    कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा

    नबी के पिता शाहिद की ओर से मुकदमा लिखकर दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 23 सितंबर 2022 को रायबरेली सत्र न्यायालय ने शैलेंद्र को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

    पिछले हफ्ते हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शैलेंद्र की अर्जी स्वीकार करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। शनिवार को जेल से निकलने के बाद शैलेंद्र ने पुलिस अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देना शुरू किया।

    मंगलवार को शैलेंद्र ने प्रयागराज में पुलिस अफसरों से मिलकर उपनिरीक्षक की नौकरी पर बहाल करने की फरियाद की। शैलेंद्र ने फोन पर दैनिक जागरण को बताया कि उसने अधिकारियों से आग्रह किया है कि उसे दोबारा नौकरी पर लगाया जाए।

    शैलेंद्र द्वारा अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देने के बाद इंटरनेट मीडिया पर मैसेज प्रसारित होने लगा कि उसे बहाल कर दिया गया है, लेकिन एसीपी लाइन और प्रतिसार निरीक्षक ने इन्कार किया है।

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