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    महाकुंभ भगदड़ पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा- इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएं

    Updated: Mon, 03 Feb 2025 01:06 PM (IST)

    महाकुंभ मेले में भगदड़ की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही वकील को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है। प्रयागराज कुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 घायल हो गए थे।

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    महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित वाली याचिका को SC ने किया खारिज

    पीटीआई, नई दिल्ली। महाकुंभ में हुई भदगड़ और शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश और नियम लागू करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई तीन फरवरी की वाद सूची के अनुसार चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

    सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

    न्यायालय के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने दलील दी कि इस संबंध में पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है। इस पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की इस दलील पर ध्यान देते हुए कहा, महाकुंभ में हुई भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। साथ ही अधिवक्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है।

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    भगदड़ मचने से 30 लोगों की हो गई थी मौत

    प्रयागराज में जारी महाकुंभ के दौरान संगम क्षेत्र में 29 जनवरी को भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता एवं जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध किया गया था।

    याचिका में राज्य और केंद्र सरकार को बनाया गया पक्षकार

    याचिका में केंद्र और सभी राज्यों को पक्षकार बनाया गया। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों को सामूहिक रूप से काम करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था ताकि महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित किया जा सके।

    याचिका में सरकार से स्थिति रिपोर्ट पेश करने की मांग

    याचिका में कहा गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मांग की वह उत्तर प्रदेश सरकार को भगदड़ की घटना पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने और लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे।

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