मंदिरों के मेलों को सरकारी मेला घोषित करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती, सुब्रमण्यम स्वामी ने दाखिल की याचिका
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 25 और 31-ए का उल्लंघन करता है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश सरकार के 2017 के उस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ इस जनहित याचिका की सुनवाई करेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश सरकार की 18 सितंबर 2017 की अधिसूचना और तीन नवंबर 2017 के परिणामी आदेश को रद करने की मांग की है।
सरकार के निर्णय पर रोक की मांग
उनका कहना है कि यह अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन करती है। प्रदेश सरकार मनमाने, असंवैधानिक, अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है। जनहित याचिका में राज्य सरकार को मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने अथवा उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से स्थायी रूप से रोकने का निर्देश देने की भी मांग है।
आक्षेपित अधिसूचना के अंतर्गत मां ललिता देवी शक्तिपीठ, नैमिषारण्य जिला सीतापुर, मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ जिला मीरजापुर, मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ, देवीपाटन तुलसीपुर जिला बलरामपुर एवं शाकुंभरी माता मंदिर जिला सहारनपुर में होने वाले मेलों को सरकारी मेला घोषित किया गया है।
हर साल नवरात्रि के दौरान इन मेलों में लाखों श्रद्धालु आते हैं। प्रदेश सरकार ने इन मेलों को सरकारी आयोजन घोषित करने संबंधी अपने फैसले को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे जिला प्रशासन को श्रद्धालुओं के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने में मदद मिलती है। इसके अलावा सरकार का लक्ष्य इन मेलों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाना है।
हाई कोर्ट ने बाढ़ प्रभावित गांवों में बचाव के उपायों पर मांगा जवाब
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बलरामपुर के बाढ़ प्रभावित सैकड़ों गांवों में किए जा रहे बचाव के उपायों के संबंध में टेक्निकल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है। जिलाधिकारी ने इसके लिए दो माह का समय दिए जाने की मांग की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवायी के लिए 13 फरवरी की तिथि नियत की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने स्थानीय निवासी इलाही की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका पर जवाब देते हुए जिलाधिकारी ने न्यायालय को बताया कि बाढ़ प्रभावित सभी इलाकों की पहचान करने के पश्चात चरणबद्ध तरीके से बचाव के स्थायी उपाय किए जा रहे हैं। इस पर न्यायालय ने टेक्निकल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
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