SIR अभियान टूटे रिश्तों व बिछड़े परिवारों के लिए भावनात्मक सेतु बना, जोड़े दिलों के तार, परवरिश पर हावी हुआ प्यार
प्रयागराज में, एसआईआर अभियान टूटे रिश्तों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बारा में देवतादीन पटेल के बेटे राहुल, जिसने प्रेम विवाह किया था ...और पढ़ें

प्रयागराज में परिवारों को फिर से जोड़ने और टूटे रिश्तों को जोड़ने में SIR अभियान सहायक बना है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। दो दिन पहले बारा के देवतादीन पटेल भोजन कर रहे थे। पास में ही उनकी पत्नी प्रमिला बैठी थीं। देवतादीन के मोबाइल की घंटी बजती है। मोबाइल पास में ही मेज पर रखा था। प्रमिला ने फोन लिया। अज्ञात नंबर से काल आई थी तो प्रमिला ने पति को पकड़ा दिया। काल रिसीव किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, पिताजी...प्रणाम। मैं राहुल, आपका बेटा। कैसे हैं आप। देवतादीन की आंखें भर आईं थीं।
प्रमिला ने पूछा क्या हुआ...। आपके आंखों में आंसू...? कुछ बोलते क्यों नहीं...प्रमिला पूछती जा रही थीं। देवतादीन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रहे थे। जैसे उनकी जुबान ही बंद हो गई हो। फौरन प्रमिला ने अपने हाथ में फोन ले लिया। कौन बोल रहे हो...प्रमिला ने पूछा। दूसरी ओर से आवाज मम्मी...मैं राहुल। आपका बेटा बोल रहा हूं.. प्रणाम...। प्रमिला भी हतप्रभ। उनकी भी जुबान नहीं खुल सकी।
देवतादीन और प्रमिला की नजरें मिलीं, दोनों की आंखों में आंसू थे। राहुल को समझते देर नहीं...। वह तेज आवाज में बोलने लगा। कहा, देखो मम्मी... बात नहीं करोगी तो हम फोन काट देंगे। इस पर प्रमिला बोल पड़ी। बेटा...राहुल...तुम कैसे हो, कहां हो। राहुल बोला, मम्मी आपकी बहुत याद आती है। माफ कर दीजिए अब। दो वर्ष बीत गए हैं। सब कुछ भूल जाइए और अपने बेटे को अपना लीजिए।
पहले पार्वती ने राहुल से बात की और फिर देवतादीन ने। लगभग 35 तक राहुल की माता-पिता से बात हुई। दो वर्ष पहले कानपुर के एक कालेज से बीफार्मा करने के दौरान ही साथ में पढ़ने वाली दूसरे जाति की लड़की से शादी कर ली थी। इसको लेकर माता-पिता बेहद नाराज थे। गुस्से में पिता ने फोन पर यहां तक बोल दिया था कि वह अब उनके घर में पैर न रखे।
इसके बाद से राहुल अपनी पत्नी के साथ हिमाचल प्रदेश में रहकर एक दवा कंपनी में नौकरी करने लगे। प्रेम विवाह के बाद से राहुल का संपर्क अपने परिवार से टूट गया था लेकिन एसआइआर अभियान ने फिर एक बार उन्हें जोड़ दिया। राहुल की बहन की पिछले वर्ष शादी हुई थी। बहन ने बहुत कोशिश की थी मगर राहुल का नंबर नहीं मिल सका था।
दरअसल, राहुल ने अपना मोबाइल नंबर बदल दिया था। एसआइआर अभियान शुरू हुआ तो उन्होंने पिता को फोन किया। पिता को बताया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ना है, वर्ष 2003 की सूची दे दीजिए। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) का काम सिर्फ दस्तावेजी कवायद नहीं बल्कि कई टूटे रिश्तों और बिछड़े परिवारों के लिए भावनात्मक सेतु के रूप में उभर का सामने आ रहा है।
ऐसे अनगिनत प्रेमी युगल, जो प्रेम विवाह के बाद परिवार वालों से वर्षों तक बातचीत तक नहीं करते थे, एसआइआर प्रपत्र भरने के लिए पिता–माता का एपिक नंबर खोजते हुए उसी घर का नंबर मिला रहे हैं, जिसे उन्होंने कभी छोड़ दिया था। घर-घर जाने वाले बीएलओ को सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जहां परिवार से दूर हुए बच्चे अपने माता-पिता से संपर्क कर रहे हैं। फोन पर वर्ष 2003 की मतदाता सूची की जानकारी ले रहे हैं। देवतादीन के बीएलओ गिरीश चंद्र ने यह वाकया तहसील के अधिकारियों को बताया तो बात जिला मुख्यालय तक पहुंच गई।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी व एडीएम प्रशासन पूजा मिश्रा ने बताया कि बारा के देवतादीन और उनके बेटे राहुल का मिलन बेहद ही भावनात्मक है। इस तरह से जिले में कई मामले प्रकाश में आए हैं, जहां एसआइआर ने टूटे हुए रिश्ते को जोड़ने का काम किया है।

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