माघ मेले में बोले शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती- विश्व में इतनी शक्ति नहीं की भारत की दिव्यता पर लगा सके ग्रहण
Magh Mela भारत की दिव्यता भव्यता अलौकिक है। ये श्रीराम कृष्ण की धरती है। विश्व में इतनी शक्ति नहीं जो भारत की दिव्यता पर ग्रहण लगा सके। शंकराचार्य ने कहा कि धर्माचार्यों का अपमान देश का अपमान है। यह बातें दस फरवरी (शनिवार) को गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने माघ मेला क्षेत्र के सेक्टर 3 त्रिवेणी मार्ग स्थित अपने शिविर में कहीं।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। भारत की दिव्यता, भव्यता, अलौकिक है। ये श्रीराम, कृष्ण की धरती है। विश्व में इतनी शक्ति नहीं जो भारत की दिव्यता पर ग्रहण लगा सके। यह बातें दस फरवरी (शनिवार) को गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने माघ मेला क्षेत्र के सेक्टर 3 त्रिवेणी मार्ग स्थित अपने शिविर में कहीं।
संबोधित करते कहा कि युवा पीढ़ी अपने सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा शिक्षा के लिए आगे नहीं आई तो गंभीर परिस्थितियां उत्पन्न होंगी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जीविकोपार्जन जीवन के लिए होना चाहिए न कि जीवन सिर्फ खाने कमाने के लिए हो। धर्मानुकूल जीवन यापन करते हुए ईश्वर भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। भगवन नाम का संकीर्तन करने से जीवन का कल्याण होता है।
धर्माचार्यों का अपमान देश का अपमान- शंकराचार्य
शंकराचार्य ने कहा कि धर्माचार्यों का अपमान देश का अपमान है। राजनीति, सत्ता और सत्ता के लोग अपने को धर्म और धर्माचार्यों से ऊपर समझने लगे हैं जो शुभ संकेत नहीं है। भारत का अस्तित्व महान संत महात्माओं महापुरुषों के चरित्र से पहचाना जाता है। ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर विश्व कल्याण की कामना की।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं के जीवन में सवा घंटे का उपासना बल आवश्यक है। हर हिंदू सेना हो हर हिंदू सनातनी हो ऐसी धारणा के साथ अपने-अपने को मजबूत बनाने के लिए जागृत होना पड़ेगा। मेला डीआईजी ने शंकराचार्य से आशीर्वाद लिया।
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