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    'बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा और अरावली की सुरक्षा के लिए होगा अनुष्ठान', श्रीधरानंद बोले- जनजागरण करेंगे

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 03:13 PM (IST)

    प्रयागराज में द्वारका शारदा पीठ का शिविर लगाने के लिए भूमि पूजन किया गया, जिसमें संत और सनातन धर्म के विद्वान शामिल हुए। त्रिवेणी मार्ग सेक्टर चार में ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। द्वारका शारदा पीठ का शिविर लगाने के लिए हुए भूमि पूजन में संत और सनातन धर्म के विद्वान जुटे। माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग सेक्टर चार में सोमवार की सुबह मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन किया गया।

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    पीठ के प्रतिनिधि व श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के संयोजन में स्वामी शंकर स्वरूप ब्रह्मचारी ने पूजन किया। आचार्य विद्यकांत पांडेय व गंगा प्रसाद शुक्ल के नेतृत्व में 21 वैदिक ब्राह्मणों ने विधि-विधान से पूजन करवाकर माघ मेला के सफल आयोजन की कामना की।

    पूजन के बाद संतों ने सनातन धर्म व राष्ट्र के समक्ष व्याप्त चुनौतियों पर चिंतन किया। श्रीधरानंद ने अरावली पर्वतमाला को लेकर मंडरा रहे खतरे और बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होने पर चिंता व्यक्त की।

    उन्होंने कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शिविर में बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा और अरावली पर्वतमाला की सुरक्षा के लिए अनुष्ठान कराया जाएगा।

    उन्हाेंने कहा कि अरावली भारत की प्राण और पहचान है। वह नहीं रहेगी तो पशु-पक्षियों के साथ मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। इसको लेकर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। इसको लेकर माघ मेला में जनजागरण कराया जाएगा।

    श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी ने कहा कि अरावली के अस्तित्व को चुनौती न दी जाय। सरकार उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे। निर्मल अखाड़ा के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए केंद्र सरकार बयानबाजी करने के बजाय कड़ा कदम उठाए।

    हर्षचैतन्य ब्रह्मचारी (छोटे महाराज) ने कहा कि अरावली को लेकर हम किसी निर्देश व आदेश को नहीं मनेंगे। उसकी सुरक्षा ही महारा लक्ष्य है। इस दौरान महापौर गणेश केसरवानी, विद्या चैतन्य ब्रह्मचारी, लवकुश महाराज, स्वामी सदाशिव, अशोक पाठक, अनूप त्रिपाठी, आलोक पांडेय, डा. रामजी मिश्र, संजय मिश्र, धनंजय मिश्र, पंकज पांडेय आदि मौजूद रहे।