भरा-पूरा परिवार... फिर भी बुजुर्ग ने अस्पताल में अकेले ही तोड़ दिया दम, बच्चे बोले- हमसे कोई मतलब नहीं
प्रयागराज में वायुसेना से सेवानिवृत्त 83 वर्षीय ज्ञान प्रकाश की अस्पताल में मृत्यु हो गई। दो पत्नियों और बच्चों के होने के बावजूद उन्हें अंतिम समय में दुर्दिन देखने पड़े। अस्पताल प्रशासन द्वारा सूचित करने पर भी परिवार ने जिम्मेदारी नहीं ली। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद एक बेटा शव लेने पहुंचा। अस्पताल में शव तीन घंटे तक रखा रहा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। दो शादियां, दोनों से भरा पूरा परिवार, धन दौलत से भरपूर। फिर भी 83 साल के बुजुर्ग ज्ञान प्रकाश को जीवन के अंतिम दिनों में दुर्दिन देखने पड़े। बीमार होने पर अस्पताल अकेले पहुंचे।
इलाज के दौरान अस्पताल प्रशासन की ओर से फोन किए जाने पर बच्चों ने तपाक से कह दिया कि 'हमसे कोई मतलब नहीं है'। अंतत: ज्ञान प्रकाश की मंगलवार दोपहर मौत हो गई। शव सुपुर्दगी में लेने एक बेटा तब पहुंचा, जब पुलिस ने फटकार लगाई। इस बीच शव करीब तीन घंटे तक अस्पताल में ही रखा रहा।
इलाज के लिए खुद पहुंच गए अस्पताल
ऊंचवा गढ़ी में रहने वाले ज्ञान प्रकाश ने 15 अगस्त को खुद राजापुर स्थित आशा हास्पिटल पहुंचकर अपनी बीमारी बताई थी। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और बुखार था। पास में सीजीएचएस (केंद्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य सेवाएं) कार्ड था इसलिए अस्पताल के डाक्टरों ने आवश्यक लिखा पढ़ी करके भर्ती कर लिया।
इलाज शुरु हुआ तो ज्ञान प्रकाश से उनके घर वालों के बारे में पूछा गया। मरीज ने जो फोन नंबर लिखाया वह उनके बेटी-बेटों का था। फोन करने पर बेटी और बेटों ने मुंह मोड़ लिया। इस पर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को 112 नंबर पर फोन करके सूचना दी।
बेटे बोले- जिसने भर्ती करवाया वही जाने
मोबाइल पुलिस टीम पहुंची और घर के लोगों को फोन किया गया। किसी तरह से परिवार का एक सदस्य पहुंचा लेकिन पुलिस के लौटते ही वह बहाना बनाकर चला गया। मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे ज्ञान प्रकाश की मौत हो गई। अस्पताल की तरफ से जब घर के लोगों को फोन किया गया तो जवाब फिर मिला कि जिसने भर्ती कराया है वही जाने।
वायु सेना कमांडेंट के थे पर्सनल असिस्टेंट
ज्ञान प्रकाश की पौत्री डॉ शालिनी पुत्री राजकुमार, ने बताया कि बाबा (ज्ञान प्रकाश) वायु सेना स्टेशन बमरौली में कमांडेंट के पर्सनल असिस्टेंट थे। बाबा ने दूसरी शादी कर ली थी और नीम सराय मुंडेरा में घर बनवाकर रहने लगे थे। दूसरी पत्नी से एक बेटी और बेटा है।
बेटा यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा है, बेटी की शादी कुछ महीने पहले ही हुई। ऊंचवा गढ़ी में पहली पत्नी से पांच बेटे हैं जिनमें दो की मौत हो चुकी है। बेटे राजकुमार और विजय की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। राजकुमार आटो टैक्सी चलाकर और विजय ई-रिक्शा चलाकर गुजारा करते हैं।
पहली पत्नी के परिवार से संबंध कर लिए थे खत्म
डॉ शालिनी ने बताया कि बाबा ने पहली पत्नी के परिवार से संबंध धीरे-धीरे खत्म कर लिया था। हालांकि जब आशा अस्पताल से सूचना आई थी तब वह बाबा को देखने के लिए गई थीं। रोगी सहायक पर्चा उन्होंने ही भरवाया।
मरीज के भर्ती होने पर घर के लोगों को फोन किया गया तो जवाब बेरुखा मिला। पुलिस को डायल 112 पर दो बार फोन करना पड़ा। मंगलवार को मरीज की मृत्यु होने पर जब पुलिसकर्मी आए, घर के लोगों को फोन करके फटकार लगाई, तो एक बेटा विजय आया। उसका ड्राइविंग लाइसेंस देखकर संतुष्ट होने के बाद ही शव सुपुर्दगी में दिया।
डॉ सुजीत कुमार सिंह, निदेशक आशा हास्पिटल
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