यूपी के इस जिले में साढ़े पांच हजार नजूल भूखंडों की लीज खत्म, सरकार करेगी सत्यापन
प्रयागराज में लगभग साढ़े पांच हजार नजूल भूखंडों की लीज खत्म हो गई है, जिसके बाद सरकार सत्यापन कराने जा रही है। इन भूखंडों का किराया बहुत कम है, जबकि इनकी कीमत अरबों में है। शहर की कई सड़कें, स्कूल और अस्पताल नजूल भूमि पर बने हैं। एडीएम नजूल ने बताया कि सत्यापन के लिए राजस्व टीमें गठित की जाएंगी।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। शहर में लगभग साढ़े पांच हजार नजूल भूखंडों की लीज खत्म हो गई है, जिनका अब सत्यापन कराने की तैयारी है। इन भूखंडों का किराया क्षेत्रफल के अनुसार मात्र 50 रुपये से लेकर 500 रुपये वार्षिक ही दिया जा रहा है, जबकि इन भूखंडों की कीमत अरबों रुपये में है।
शहर में प्रमुख सड़कें, गलियां, चौराहे, स्कूल-कालेज, अस्पताल, बैंक, होटल, मकान, व्यवसायिक कांप्लेक्स व कई धार्मिक स्थल नजूल भूमि पर ही बने हैं। जनपद में एक करोड़ 52 लाख वर्ग मीटर भूमि नजूल की थी। इसमें 50 प्रतिशत नजूल भूमि फ्रीहोल्ड हो चुकी है।
शहर में साढ़े छह हजार नजूल भूखंड हैं, जिनमें 5.5 हजार भूखंडों की लीज खत्म हो चुकी है। शेष भूखंडों की लीज समाप्त होने वाली है। अभी 75 लाख वर्ग मीटर जमीन नजूल की है। इनमें 2230 नजूल भूखंडों को फ्रीहोल्ड कराने के लिए आवेदन हुए हैं, जिसके लिए लगभग छह करोड़ रुपये जमा हैं।
खास बातें-
- 75 लाख वर्ग मीटर जमीन शहर में अब भी नजूल की
- 50 से 500 रुपये तक मिलता है किराया
- 50 प्रतिशत नजूल भूमि हो चुकी है फ्रीहोल्ड
- 20 प्रतिशत नजूल भूमि की शीघ्र खत्म होगी लीज
नजूल भूखंड को फ्रीहोल्ड कराने के लिए कुल जमीन की सर्किल रेट की कीमत के हिसाब से 25 प्रतिशत धनराशि सरकारी कोष में जमा करना होता रहा है। सिविल लाइंस में 60 प्रतिशत नजूल भूखंड फ्रीहोल्ड हो चुके हैं। जार्जटाउन, टैगोर टाउन, लूकरगंज, म्योर रोड, अशोक नगर, राजापुर, अशोक नगर, अलोपीबाग, म्योराबाद, मम्फोर्डगंज का 80 प्रतिशत हिस्सा नजूल भूमि पर है, जिसमें काफी नजूल भूखंड फ्रीहोल्ड हुए हैं।
शहर के कुछ ऐसे भी बड़े भूखंड हैं जो सरकारी नजरी नक्शे में तो नजूल भूखंड के तौर पर दर्ज हैं मगर नजूल विभाग के अभिलेख में उनका जिक्र नहीं है। सिविल लाइंस में फ्रीहोल्ड में अनियमितता बरती गई है। ऐसे 400 से ज्यादा भूखंडों की जांच चल रही है। लगभग 700 भूखंडों का मामला न्यायालय में लंबित है। अब सत्यापन होने पर सभी नजूल भूखंडों की स्थिति का पता चल जाएगा।
2012 से 2020 तक सबसे ज्यादा फ्रीहोल्ड हुए नजूल भूखंड
वर्ष 1992 से नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने की शुरुआत हुई थी मगर नजूल नीति लागू होने पर वर्ष 1998 से इसमें तेजी आई। वर्ष 2012 से 2020 तक सबसे ज्यादा नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड किया गया। इस दौरान तीन जिलाधिकारियों ने सबसे ज्यादा नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने का आर्डर पास किया। पांच वर्ष पहले 27 जुलाई 2020 से फ्रीहोल्ड होना बंद हो गया था।
नजूल भूखंडों के सत्यापन कराने की शीघ्र ही प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी। इसके लिए राजस्व टीमें गठित की जाएंगी। सदर तहसील के साथ ही करछना, फूलपुर व सोरांव में भी राजस्व टीमें गठित की जाएंगी।
-संजय कुमार पांडेय, एडीएम नजूल

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।