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    उप्र लोक सेवा आयोग के समक्ष आंदोलन की विफलता पर छात्र नेताओं में दो फाड़, प्रयागराज में अब बना रहे नई रणनीति

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 07:43 PM (IST)

    प्रयागराज में, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने आंदोलन की विफलता के बाद छात्र नेताओं में मतभेद हो गया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने विभिन्न छ ...और पढ़ें

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    प्रयागराज में यूपीपीएससी के समक्ष धरना-प्रदर्शन करते प्रतियोगी छात्रहै। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, जागरण, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के बाहर सोमवार को हुए नेतृत्वविहीन छात्र आंदोलन में राजनीतिक घुसपैठ के बाद प्रतियोगी छात्र संगठनों में कई फाड़ हो गई है। इन घटनाक्रमों से उपजे हालातों की गंभीरता को समझते हुए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने पहल करते हुए विभिन्न प्रतियोगी छात्र संगठनों को संयुक्त बैठक बुलाकर एक मंच पर लेकर आया। इसमें उन छात्रनेताओं को दूर रखा गया, जो आंदोलन के अगुआ बनकर धरना स्थल से नदारद रहे थे।

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    आंदोलन के राजनीतिकरण के विरोध में प्रस्ताव 

    बैठक में सर्वसम्मति से समन्वय समिति के गठन का निर्णय लिया और आंदोलन के राजनीतिकरण के विरोध में प्रस्ताव रखा गया। सर्व सम्मति से तय हुआ कि समिति भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, समयबद्ध सूचना और छात्र हितों की रक्षा के लिए एकजुट रणनीति के तहत संघर्ष करेगी। प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना की गई और तय हुआ कि भविष्य के सभी आंदोलनों को गैर-राजनीतिक, मुद्दा-केंद्रित और लोकतांत्रिक रखा जाएगा।

    आंदोलन की विफलता के कारणों पर चर्चा हुई 

    प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में आंदोलन की विफलता के कारणों पर चर्चा हुई। कहा गया कि जानबूझकर आंदोलन के नाम पर राजनीतिक ताकतों के लिए जमीन तैयार की, जिससे छात्र आंदोलन की मूल भावना को गहरी चोट पहुंची। छात्र संगठनों ने कहा कि उत्तर कुंजी, कटआफ, प्राप्तांक और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता जैसी मांगों बजाय राजनीतिक नारों और झंडा-बैनर हावी हो गए। इससे बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र असहज होकर आंदोलन से अलग हो गए।

    राजनीतिक दलों का सीधा हस्तक्षेप स्वीकार नहीं  

    वक्ताओं ने इसे छात्र आंदोलन की विफलता नहीं, बल्कि एक चेतावनी बताया कि यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में छात्र आंदोलनों की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा हो सकता है। प्रशांत पांडेय ने कहा कि अब साझा मंच से, लोकतांत्रिक तरीके से और पूरी पारदर्शिता के साथ आंदोलन किए जाएंगे। राजनीतिक दलों का सीधा हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। 

    समन्वय समिति प्रतियोगी छात्रों संग बैठकें करेगी

    कहा कि हालांकि छात्रों के मुद्दों पर सभी राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों से सहयोग लिया जाएगा, लेकिन किसी भी प्रदर्शन में किसी दल विशेष के झंडे, बैनर या समर्थन-विरोध में नारेबाजी की अनुमति नहीं होगी। समन्वय समिति अलग-अलग स्थानों पर प्रतियोगी छात्रों के साथ बैठकें करेगी, उनकी समस्याएं सुनेगी और जमीनी स्तर से सुझाव लेकर आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेगी। 

    सभी संगठनों की बराबर भागीदारी पर जोर

    बैठक के दौरान एक साझा घोषणापत्र भी तैयार किया गया। इसमें एक स्वर में कहा गया कि उत्तर कुंजी, कटआफ और प्राप्तांकों के समय पर प्रकाशन जैसे मुद्दे किसी एक संगठन के नहीं बल्कि पूरे छात्र समुदाय के हैं। इसलिए समन्वय समिति का स्वरूप पूरी तरह लोकतांत्रिक होगा और इसमें सभी संगठनों की बराबर भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। किसी एक संगठन या व्यक्ति को वर्चस्व की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    चरणबद्ध बैठकों का आयोजन होगा 

    समन्वय समिति की औपचारिक संरचना तैयार कर आगामी आंदोलनों की रूपरेखा तय करने के लिए चरणबद्ध बैठकों का आयोजन किया जाएगा। बैठक में प्रतियोगी छात्र प्रतिनिधिमंडल के संयोजक शीतला प्रसाद ओझा, कृषि प्रतियोगी छात्रसंघ से अभिनव मिश्रा, प्रतियोगी छात्र महासंघ से बेट्टू बाजपेयी, छात्र ज्ञान संघ से ज्ञान शुक्ला, समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी संघर्ष कमेटी से संदीप अग्रहरि सहित कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। इसके अलावा प्रतियोगी छात्रों में राघवेंद्र तिवारी, मो. रिजवी, आशीष सिंह, भीमराज, प्रवीण गुप्ता, अर्चना सिंह, श्वेता तिवारी, नीरज मिश्रा, सचिन सहित दर्जनों छात्र बैठक में मौजूद रहे।