Diabetes भगाने को स्कूलों में लगेंगे Sugar Board, बच्चों को मिलेगी Suger के खतरे की जानकारी, पढ़ेंगे मिठास का सही पाठ
प्रयागराज के स्कूलों में अब शुगर बोर्ड लगाए जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को खाने-पीने की चीजों में चीनी की मात्रा के बारे में जानकारी देना है ताकि वे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में मधुमेह के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई है इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है।
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। शुगर स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन रही है। बड़ी संख्या में बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। खान-पान में चीनी का प्रयोग सीमित करने संबंधी पाठ स्कूलों में पढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में शुगर बोर्ड लगाया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र जारी किया है।
पत्र में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में मधुमेह के खतरनाक रूप से बढ़ने पर चिंता जताई है। बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती से बच्चे तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। शुगर बोर्ड दृश्य सूचना प्रदर्शन है, जो छात्रों को अत्यधिक चीनी के प्रयोग के खतरे के बारे में बताएगा। इसका लक्ष्य भोजन के विकल्पों को बढ़ावा देना और बच्चों के बीच स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करना है। सीबीएसई ने भी अपने स्कूलों के लिए इस तरह का निर्देश पूर्व मेंं जारी किया है।
जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने कहा कि सभी स्कूल इस विषय को गंभीरता से लें। स्वास्थ्य के खतरे के प्रति बच्चों को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। यह कदम छात्रों और अभिभावकों दोनों को चीनी के सेवन के बारे में बताएगा। उसके विकल्प को भी साझा करेगा। चीनी के विकल्प को भी प्रोत्साहन मिलेगा। बच्चों में मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ और अन्य मेटाबालिक बीमारियों से बचाने में कारगर होगा।
खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा बताएगा ‘शुगर बोर्ड’
नए निर्देश के अनुसार, स्कूलों में प्रमाणिक जानकारी देने वाले बोर्ड लगाए जाएंगे। इसमें अंकित होगा कि रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में कितनी चीनी है। पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, फ्लेवर्ड योगर्ट, जूस और ब्रेकफास्ट सीरियल्स में भी शुगर होती है, जो प्राय: अनदेखी की जाती है। कोल्ड्रिंक, पेटीस जैसी आम खाद्य वस्तुओं में कितना शुगर है, यह भी लिखा जाएगा।
आलू व कोल्ड्रिंक जैसे खाद्य पदार्थ के प्रति सचेत होंगे
डायटीशियन कौसेन हफीज स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने जाने जैसे कदम को सराहती हैं। कहती हैं कि बच्चों को जब पता रहेगा कि वे जो खा रहे वह कितना घातक है तो बहुत संभव है सतर्कता बढ़ेगी। कार्बोहाइड्रेट, खास तौर पर कोल्ड ड्रिंक और मैदा युक्त खाद्य पदार्थ, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की तुलना में ऊर्जा और कैलोरी के सस्ते स्रोत हैं। इसलिए, उतने ही रुपये खर्च करने पर प्रोटीन युक्त भोजन की तुलना में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन की अधिक मात्रा मिलती है।
क्या कहता है WHO
इस बोर्ड के जरिए कोल्ड्रिंक की जगह मट्ठा, दही के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जा सकता है। आलू के अधिक प्रयोग के प्रति सचेत किया जा सकता है। अत्यधिक चीनी और मीठे पेय पदार्थों का सेवन केवल खाली कैलोरी है और बच्चों में यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। अधिक सेवन से मोटापा, मेटाबालिक सिंड्रोम, दांतों में सड़न, व्यवहार और संज्ञानात्मक प्रभाव हो सकते हैं। WHO की सिफारिश है कि बच्चों को अतिरिक्त चीनी से दैनिक कैलोरी का 10 प्रतिशत से कम सेवन करना चाहिए या अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभों के लिए आदर्श रूप से पांच प्रतिशत से कम।
‘शुगर बोर्ड’ के लाभ
स्कूल परिसर में लगा शुगर बोर्ड इंफोग्राफिक्स और शुगर कंटेंट चार्ट्स की संपूर्ण जानकारी देगा। स्नैक्स में कितनी चीनी है।इंटरऐक्टिव वर्कशाप और खेल आधारित लर्निंग के बारे में भी यह बताएगा। बीएमआई और स्वास्थ्य के प्रति सचेतक के रूप में यह प्रयोग होगा।
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