वृद्धावस्था पेंशन को 5 वर्ष से खुद को जिंदा साबित करने की नाकाम कोशिश की, अब प्रयागराज के ADM ने जांच के दिए आदेश
प्रयागराज में सुकुरू की सुनवाई पर जियालाल में आस जगी है। 72 वर्षीय जियालाल को पांच साल पहले कागजों में मृत घोषित कर दिया गया जिससे उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद हो गई। तमाम कोशिशों के बावजूद वे खुद को जीवित साबित नहीं कर पाए। डीएम से मुलाकात न होने पर उन्होंने एडीएम को अपनी समस्या बताई जिसके बाद समाज कल्याण अधिकारी को जांच के आदेश दिए गए।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। 72 वर्षीय जियालाल के न पत्नी हैं और न ही बच्चे। गरीबी में जैसे-तैसे जीवन कट रहा था। वृद्धावस्था पेंशन से कुछ मदद मिल जाती थी। पांच वर्ष पूर्व उन्हें मृतक घोषित कर सचिव ने यह सहारा भी छीन लिया। खुद को जिंदा साबित करने के लिए खूब दौड़ लगाई, लेकिन हुआ कुछ नहीं। ऐसी ही समस्या से जूझ रहे एक अन्य बुजुर्ग सुकरू की डीएम ने सुनवाई की तो उनमें आस जगी। अपनी समस्या लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे, लेकिन डीएम से मुलाकात नहीं हो सकी।
प्रतापपुर ब्लाक के निवासी हैं 72 वर्षीय जियालाल
प्रतापपुर ब्लाक क्षेत्र के बरियारी के रहने वाले जियालाल ने बताया कि पहले उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी। गंवई राजनीति के चक्कर में सचिव ने उन्हें वर्ष 2021 में मृतक घोषित कर दिया। इसकी वजह से उनकी पेंशन बंद हो गई। करीब तीन साल तक ब्लाक के चक्कर लगाए। किसी जिम्मेदार ने उनकी पीड़ा को नहीं समझा।
25 बार समाज कल्याण विभाग का लगा चुके हैं चक्कर
लगभग 25 बार विकास भवन स्थित समाज कल्याण विभाग के कार्यालय गए। हर बार कर्मचारी यही कहते कि तुम तो मृतक हो। जीवित का प्रमाण पत्र लेकर आओ। दो-तीन बार डीएम की चौखट पर दस्तक दी। यहां से भी मायूसी ही लगी।
पिछले दिनों डीएम ने ऐसे ही एक बुजुर्ग दिलाया था न्याय
इधर, बीते दिनों डीएम मनीष कुमार वर्मा ने ऐसी ही समस्या से जूझ रहे एक अन्य बुजुर्ग सुकरू की सुनवाई की थी। उन्हें मृतक घोषित करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की। पेंशन बहाल कराने के आदेश दिए थे। इसी के बाद जियालाल को उम्मीद की किरण नजर आई।
एउीएम ने समाज कल्याण अधिकारी को जांच के दिए निर्देश
गुरुवार को वह भी डीएम से मिलने कलक्ट्रेट पहुंचे थे, लेकिन डीएम थे ही नहीं। उनकी जगह एडीएम प्रशासन पूजा मिश्रा सुनवाई कर रहीं थीं। बुजुर्ग ने उन्हें अपनी समस्या बताई। एडीएम ने समाज कल्याण अधिकारी को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए।
पहले भी की जा चुकी है लापरवाही
सहसों ब्लाक के सिकंदरा निवासी छोटेलाल को वर्ष 2021 में मृतक घोषित कर दिया गया था। लगभग चार साल इन्हें अफसरों के चक्कर लगाने पड़े। इसी तरह धनूपुर के शाहपुर निवासी कल्लू और सैदाबाद के चक मुज्जमिल के रहने वाले रामसनेही की पेंशन भी मृतक घोषित होने के कारण बंद कर दी गई थी। काफी मशक्कत के बाद यह लाभार्थी कुछ महीने पहले जीवित घोषित हुए थे। इन्हें मृतक बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी ने ब्लाकों को पत्र लिखा था, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई।
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