Prayagraj News : स्वच्छ एवं हरित विद्यालय की रेटिंग में UP चौथे स्थान पर, भागीदारी बेहद फीकी रही
प्रयागराज में स्वच्छ एवं हरित विद्यालय रेटिंग में उत्तर प्रदेश चौथे स्थान पर है लेकिन भागीदारी कम रही है। प्रदेश में प्रयागराज 192 विद्यालयों के साथ सबसे आगे है। छोटे राज्यों ने तेजी से दावेदारी पेश की है लेकिन यूपी पीछे है। इस योजना में स्कूलों को पांच स्टार तक दिए जाएंगे जिसके लिए परिसर की तस्वीरें अपलोड करनी होंगी।
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। देशभर के स्कूलों को स्वच्छता और हरित पहलों के आधार पर स्टार ग्रेडिंग देने की प्रक्रिया शुरू हुई तो सबसे बड़ा चौंकाने वाला सच सामने आया। छोटे-छोटे राज्य हजारों विद्यालयों को लेकर आगे निकल गए, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश की भागीदारी बेहद फीकी रही।
क्षेत्रफल में 19वें पायदान पर खड़ा पंजाब 15,974 स्कूलों को उतारकर सबसे आगे है। असम ने 7,000 स्कूलों के साथ अपनी ताकत दिखाई और हिमाचल ने भी 1,565 स्कूलों को पंजीकृत कर उपस्थिति दर्ज करा दी। इसके उलट, चौथे नंबर पर बड़ा प्रदेश यूपी अब तक महज 721 स्कूलों तक सिमटा हुआ है।
इसमें 192 विद्यालयों के साथ प्रयागराज प्रदेश में सबसे आगे है। प्रदेश की यह स्थिति न केवल हैरान करती है बल्कि शिक्षा विभाग की गंभीरता पर भी सवाल भी खड़ा करती है। विभागीय अफसर दावा तो कर रहे हैं कि 31 अगस्त तक शत-प्रतिशत पंजीयन हो जाएगा, लेकिन मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि छोटे राज्यों ने जिस तेजी और तत्परता से दावेदारी पेश की है, यूपी उस रफ्तार से कोसों दूर खड़ा नजर आ रहा है।
देश भर के लिए चलाई जा रही इस योजना में शामिल होने के लिए https://shvr.education.gov.in/progress पर पंजीकरण कराना है। किसी भी स्कूल को अधिकतम पांच स्टार दिए जाएंगे। इसके लिए उन्हें अपने परिसर व सुविधाओं की तस्वीरें अपलोड करनी हैं। ये स्कूल जनपद, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किए जाएंगे। स्पर्धा में सरकारी, गैर सरकारी, यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आइसीएसई, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय भी शामिल किए जा रहे हैं।
देश के अन्य प्रांतों के आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी क्षेत्र दिल्ली से मात्र 918, छत्तीसगढ़ से 1602, झारखंड से 1193, महाराष्ट्र ये 4812 विद्यालयों ने स्टार ग्रेडिंग के लिए पंजीयन कराया है। आइसीएसई के कुल 117, सीबीएसई के 3253, नवोदय विद्यालय 519, केंद्रीय विद्यालय 809 पंजीयन की प्रक्रिया का हिस्सा बन चुके हैं।
राष्ट्रीय मेंटर शत्रुंजय शर्मा के अनुसार प्रयागराज के स्कूलों को स्पर्धा में शामिल कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अब तक संगम नगरी में 192 स्कूलों ने पहल की है। इसमें 136 ने पंजीयन करा लिया है, जबकि मात्र 16 विद्यालय फोटो आदि अपलोड कर प्रक्रिया को पूरा कर पाए हैं। कम पंजीयन की वजह सूचना का अभाव व जागरूकता की कमी बताते हैं। प्रयागराज में डायट प्राचार्य राजेंद्र प्रसाद व बीएसए देवव्रत सिंह अधिक से अधिक स्कूलों से संपर्क कर पंजीयन का दावा कर रहे हैं।
प्रदेश में प्रयागराज अव्वल
प्रदेश में प्रयागराज में सब से अधिक 192 स्कूलों ने प्रक्रिया में हिस्सा लेने की पहल की है। जिलेवार देखें तो प्रतापगढ़ में तीन, कौशांबी में एक, लखनऊ में 34, बिजनौर में 48, झांसी में 46, गोरखपुर में 44, फतेहपुर में 42, ललितपुर में 38, बहराइच में 32, हमीरपुर में 27 स्कूलों ने इस दिशा में पहल की। आगरा, अमेठी, बलरामपुर, बदायूं, बुलंदशहर, गैतमबुद्धनगर, गोंडा, हरदोई जैसे जिलों में एक भी स्कूलों ने पंजीयन की प्रक्रिया नहीं शुरू की है।
इन बिंदुओं पर होगा मूल्यांकन
राष्ट्रीय मेंटर शत्रुंजय शर्मा ने बताया कि जल संचयन और संरक्षण, वर्षा जल संचयन की व्यवस्था, पानी का पुनः उपयोग। जल की उपलब्धता और गुणवत्ता, शौचालय की क्रियाशीलता, दिव्यांग अनुकूल संरचना जैसे व्हीलचेयर रैंप, हैंडल, विशेष शौचालय, हाथ धुलने की व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे बिंदु पर मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही स्वच्छता और परिसंपत्तियों का रखरखाव, जनजागरूकता अभियान जैसे रैलियां, पोस्टर, नारे, विद्यार्थियों की भागीदारी को भी देखा जाएगा। ईको रखरखाव और हरित पहल, विद्यालय में क्लब के गठन व उनकी गतिविधियों को भी मूल्यांकन का आधार बनाया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।