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    'भइया मौत बाय-बाय करके निकल गई', बेपटरी हुई सुहेलदेव एक्सप्रेस; अनहोनी की आशंका से कांप उठे यात्री

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Wed, 01 Nov 2023 08:44 AM (IST)

    Suheldev Express Derail सुहेलदेव एक्सप्रेस के डिरेल होने के समय पूरी ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी। ट्रेन के शौचालय और दरवाजे के पास भी यात्री बैठे थे। अचानक रात करीब नौ बजे धड़ाम के साथ ट्रेन झटके से रुकी तो सोने की तैयारी कर रहे यात्री धड़ाम से नीचे गिर पड़े। अनहोनी की आशंका से सभी कांप उठे। पूरी ट्रेन में चीख-पुकार मच गई।

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    'भइया मौत बाय-बाय करके निकल गई', बेपटरी हुई सहेलदेव एक्सप्रेस; अनहोनी की आशंका से कांप उठे यात्री

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सुहेलदेव एक्सप्रेस के डिरेल होने के समय पूरी ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी। ट्रेन के शौचालय और दरवाजे के पास भी यात्री बैठे थे। अचानक रात करीब नौ बजे धड़ाम के साथ ट्रेन झटके से रुकी तो सोने की तैयारी कर रहे यात्री धड़ाम से नीचे गिर पड़े।

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    अनहोनी की आशंका से सभी कांप उठे। पूरी ट्रेन में चीख-पुकार मच गई। कुछ यात्री ट्रेन से कूद गए। काफी यात्री इंजन के पास पहुंचे तो देखा कि वह पटरी से उतरा है। कुछ ही देर में रेल अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए।

    आनन-फानन में इंजन को फिर से पटरी पर लाने की कवायद शुरू हुई तब जाकर यात्रियों ने राहत की सांस ली। ट्रेन में सफर कर रहे जौनपुर के रहने वाले अजय कुमार प्रयागराज जंक्शन से कानपुर के लिए बैठे थे।

    यात्रियों ने बयां की पूरी घटना

    जागरण से दुर्घटना के बाबत घबराते हुए बताते हैं कि अभी सही से व्यवस्थित होकर बैठ भी नहीं पाया था कि जोरदार झटका लगा। हम लोग घबरा कर कूदकर उतरे तो पता चला पहिया उतर गया है। गाजीपुर के जय किशन ने बताया कि आज जिंदगी हमारी बढ़ गई। बाल बाल बच गए भइया। अभी तक मन घबराया हुआ है। घर वालों को बता दिए कि हम बाल-बाल बच गए हैं।

    मडियाहू के आलोक रंजन दुबे डरे-सहमे थे, बताया कि जब ट्रेन झटके से रुकी तो हम सब कांप गए, समझ गए कि हादसा हुआ है। हम पैदल घटना स्थल तक गए। देखा तो इंजन का पहिया नीचे उतर गया था। भइया किस्मत अच्छी थी, मानो मौत बाय-बाय करके निकल गई।

    गाजीपुर के संजय के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। हालचाल पूछने पर बोले कि अगर कहीं ट्रेन स्पीड में होती तो आज हम लोग न होते। गाजीपुर के ही अजीत कुमार अपने रिश्तेदार के घर जा रहे थे। बोले की हमारा जाने का मन नहीं था, आज अनहोनी होती तो क्या होता।

    ट्रेन में हर यात्री के चेहरे पर डर का भाव था। कोई सगे संबंधी के घर जा रहा था। किसी को सुबह इंटरव्यू में पहुंचना था। ट्रेन विलंबित होने से यात्री परेशान थे और अपने घर वालों को मोबाइल से अपनी कुशलता की बात बता रहे थे।

    पूरी ट्रेन की तकनीकी जांच की गई

    पूरी ट्रेन की तकनीकी टीम ने जांच की। सभी कोच के के पहिये समेत अन्य चीजों का गहन निरीक्षण हुआ। इस दौरान यात्री भी ट्रेन से नीचे उतर कर प्लेटफार्म पर ही ट्रेन के रवाना होने का इंतजार करते रहे। वहीं, घटना को लेकर यात्रियों के स्वजन व नात-रिश्तेदारों के फोन आने-जाने लगे। लोग एक दूसरे से घटना के बारे में जानकारी साझा करते रहे।

    रात लगभग सवा दस बजे ट्रेन के बाकी सभी कोच में सबकुछ ठीक होने की रिपोर्ट दी गई। इसके बाद इस ट्रेन को आगे भेजने पर सहमति बनी। रात 10.25 पर जंक्शन पर ट्रेन के रवाना होने की उद्घोषणा की गई। कानपुर पहुंचने के बाद इस ट्रेन की जांच की जाएगी।

    2007 में जंक्शन पर डिरेल हुई थी चौरीचौरा

    प्रयागराज जंक्शन पर इससे पहले 2007 में चौरीचौरा एक्सप्रेस डिरेल हुई थी। उस दौरान भी कई घंटे तक रूट बाधित रहा। मौके पर कई घंटे तक अधिकारी जमे रहे थे। इसके बाद इंजन व मालगाड़ी के पहिए के डिरेल होने की कुछ घटनाएं हुई लेकिन उस तरह की बड़ी घटना लगभग 16 साल बाद घटी।

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    अंतर विभागीय कमेटी गठित सुहेलदेव एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों की जांच के लिए अंतर विभागीय कमेटी गठित कर दी गई है। इसमें सदस्यों की संख्या का निर्धारण बुधवार को होगा। सामान्यत: जांच में चार सदस्य रखे जाते हैं। यह कमेटी घटना क्यों हुई इसके कारणों की पड़ताल करेगी। साथ ही अगर कहीं लापरवाही हुई है तो उसकी जवाबदेही भी तय करेगी। कमेटी मंडल स्तर गठित की जाएगी जो डीआरएम के साथ महाप्रबंबध को भी अपनी रिपोर्ट भेजेगी।