Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न OTP न मैसेज और न ही कोई ल‍िंक, साफ हो गया अकाउंट; यूपी के इस ज‍िले में 7 द‍िन के अंदर 11 हैरान करने वाले केस

    प्रयागराज में साइबर ठगों ने बिना ओटीपी और मैसेज के लोगों के खाते से पैसे निकालने का नया तरीका खोज निकाला है। एक हफ्ते में 11 मामले सामने आए हैं जिससे शहर में दहशत है। साइबर पुलिस हैरान है क्योंकि ठग फिशिंग और मैलवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञ लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित एप का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

    By rajendra yadav Edited By: Vinay Saxena Updated: Mon, 09 Jun 2025 03:22 PM (IST)
    Hero Image
    नए तरीके से अकाउंट साफ कर रहे साइबर ठग।- सांकेति‍क तस्‍वीर

    राजेंद्र यादव, प्रयागराज। साइबर ठग अब इतने हाईटेक हो चुके हैं कि वे बिना किसी ओटीपी, मैसेज और लिंक पर क्लिक कराए ही लोगों के बैंक खातों से रुपये उड़ा रहे हैं। यह एक तरीके से साइलेंट फ्रॉड है। एक सप्ताह के भीतर शहर में ऐसे 11 मामले सामने आए हैं, जिनमें पीड़ितों के मोबाइल पर घंटों बाद रुपये निकाले जाने का संदेश आया। हैरानी की बात यह है कि न तो उन्होंने किसी अनजान लिंक पर क्लिक किया, न ही किसी से बैंक डिटेल साझा की और न ही कोई ओटीपी आया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साइबर थाना की पुलिस इन मामलों को लेकर परेशान है, क्योंकि अब तक की ठगी की तकनीकों में ओटीपी, काल या मैसेज के जरिए जानकारी हासिल की जाती थी, लेकिन इन नए मामलों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

    बदलती तकनीक के साथ-साथ साइबर अपराध भी अब नई दिशा में बढ़ चला है। संगमनगरी में सामने आए ये साइलेंट फ्रॉड के मामले आम जनता के लिए चेतावनी है कि अब सिर्फ फोन, ओटीपी और लिंक से बचाव ही काफी नहीं, आपको अपने मोबाइल डिवाइस को पूरी तरह सुरक्षित रखना होगा। तकनीकी रूप से अपडेट और जागरूक रहना होगा। क्योंकि साइलेंट फ्राड के लिए ठग फिशिंग या मैलवेयर का प्रयोग कर सकते हैं। कभी-कभी पुराने या कम सुरक्षित एंड्राइड फोन में थर्ड पार्टी एप व एक्सेस की गई साइट्स से जालसाजों को मौका मिल जाता है।

    केस 1

    कर्नलगंज निवासी अरुण कुमार के बैंक खाते से दो बार में ढाई लाख रुपये निकाल लिए गए। उनके पास रुपये कटने का कोई मैसेज भी नहीं आया। इसका पता उन्हें तब चला, जब उन्होंने अपना बैंक बैलेंस की जांच की। आश्चर्य की बात यह रही कि कोई ओटीपी उनके पास नहीं आई और न ही उन्होंने किसी लिंक पर क्लिक किया था।

    केस 2 

    कालिंदीपुरम निवासी अशोक कुमार सिंह के साथ 2.43 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। साइबर अपराधियों ने उनके खाते से कई बार में यह रकम निकाली। उनके पास भी किसी प्रकार की ओटीपी नहीं भेजी गई। बैंक से रुपये निकाले जाने का कोई मैसेज भी उन्हें नहीं मिला। जब उन्हें इसकी जानकारी हुई तो वह एक से दूसरे थाने की दौड़ लगाने लगे।

    बढ़ती घटनाओं से दहशत

    सिर्फ सात दिनों में दर्ज हुए 11 मामलों से शहर के लोग डर और भ्रम में हैं। खासकर वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं अब बैंक से रुपये निकालने व मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करने से डरने लगे हैं। स्थानीय बैंकों में भी शिकायतों की लाइन लगी है।

    बैंकों की भूमिका और लापरवाही का सवाल

    कई मामलों में बैंकों पर भी सवाल उठे हैं कि आखिर सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर कैसे है कि ग्राहक के खाते से रुपये निकले और अलर्ट घंटों बाद आया। कई पीड़ितों का कहना है कि जब उन्होंने बैंक में संपर्क किया, तो उन्हें नेटवर्क समस्या या सिस्टम अपडेट का हवाला देकर वापस भेज दिया गया।

    ठगी के ये हैं प्रमुख कारण

    • गूगल प्ले स्टोर पर कई फर्जी एप होते हैं जो असली एप की तरह दिखते हैं।
    • साइलेंट मैलवेयर जो फोन में बिना जानकारी के डाउनलोड हो जाते हैं और बैंक एप के डेटा को रीड कर लेते हैं।
    • ठग लोगों का सिम क्लोन कर उसका नेटवर्क और ओटीपी प्राप्त कर लेते हैं।
    • सार्वजनिक स्थानों पर लगे फर्जी वाईफाई नेटवर्क से फोन हैक कर लिया जाता है।

    ये बरतें सावधानी

    • फोन में सिर्फ जरूरत के ही एप रखें।
    • बैंकिंग के लिए सिर्फ आफिशियल एप ही इस्तेमाल करें।
    • कभी भी अपना ओटीपी, यूपीआई पिन या पासवर्ड साझा न करें।
    • अनजान वाईफाई नेटवर्क से बचें।

    साइबर सेल प्रभारी व‍िनोद ने बताया क‍ि साइबर अपराध के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। तमाम तरीके से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। लोगों को भी हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि साइबर अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को ठगने का प्रयास करते हैं। ऐसे में अगर कोई साइबर अपराध का शिकार होता है तो तत्काल आनलाइन रिपोर्ट दर्ज कराना जरूरी होता है। 1930 पर भी फोन कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

    स्मार्टफोन यूजर्स को थर्ड पार्टी एप से बचना चाहिए। किसी भी संदिग्ध लिंक या मुफ्त वाले आफर पर क्लिक नहीं करना चाहिए। फोन में एंटी वायरस इंस्टाल होना चाहिए और साफ्टवेयर समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए।- प्रो. वृजेंद्र सिंह, साइबर विशेषज्ञ।