उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के असहयोग से CBI नाराज, जांच बंद करने की चेतावनी
प्रयागराज से आई खबर के अनुसार सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पर पीसीएस-2015 और एपीएस भर्ती-2010 में भ्रष्टाचार की जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है। सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि आयोग ने 30 दिनों के भीतर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए तो जांच बंद कर दी जाएगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-2015 और एपीएस भर्ती-2010 में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने आयोग पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। साथ ही जांच प्रक्रिया के लिए इसे चिंताजनक बताया है।
सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भेजा है। सीधे तौर जांच बंद करने की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आयोग ने 30 दिनों के भीतर जांच से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए और अनुमति नहीं दी, तो विवश होकर सीबीआइ को इन मामलों की जांच समयपूर्व बंद करनी पड़ सकती है।
निदेशक ने राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है और अनुरोध किया है कि यूपीपीएससी के अध्यक्ष को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं ताकि धारा 17-ए की अनुमति शीघ्र दी जाए और संबंधित परीक्षा रिकार्ड तुरंत सीबीआइ को सौंपे जाएं।
यह चेतावनी सीबीआइ निदेशक सूद ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को 26 मई 2025 को भेजे पत्र में दी है। पत्र में उन्होंने यूपीपीएससी द्वारा वर्षों से जांच में हो रही बाधाओं और निष्क्रियता का सिलसिलेवार उल्लेख किया है। आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी की लगातार शिकायतों को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार अस्तित्व में आई तो परीक्षा घोटाले की जांच शुरू हुई।
सरकार ने 31 जुलाई 2017 को आयोग की वर्ष 2012 से 2017 तक घोषित परीक्षा परिणामों की सीबीआइ से जांच कराने के आदेश दिए थे, जिसके बाद सीबीआइ द्वारा पांच मई 2018 को पीसीएस भर्ती-2015 तथा चार अगस्त 2021 को अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। जांच के दौरान एपीएस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी पाई गई तो 2010 की इस परीक्षा को भी जांच में शामिल कर लिया गया।
इन दोनों ही मामलों में यूपीपीएससी के तत्कालीन सिस्टम एनालिस्ट गिरीश गोयल, अनुभाग अधिकारी विनोद कुमार सिंह तथा समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17-ए के तहत जांच की अनुमति मांगी गई थी।
सीबीआइ निदेशक के अनुसार अभियुक्त अधिकारियों पर जांच की अनुमति के लिए आयोग को 23 अगस्त 2021 और नौ जून 2022 को विस्तृत प्रस्ताव भी भेजे गए थे, जिनमें कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा निर्धारित प्रारूप का पालन किया गया।
इसके बावजूद आयोग की ओर से अब तक न अनुमति दी गई, न ही सभी आवश्यक रिकार्ड उपलब्ध कराए गए। धारा 17ए के तहत आवश्यक अनुमति प्राप्त न होने के कारण सीबीआइ के जांच अधिकारी प्रभावी क्षेत्रीय जांच करने में असमर्थ हैं।
दस्तोवजों की संख्या अधिक है। इसकी नंबरिंग और प्रतिलिपि कराने सहित अन्य औपचारिकताएं काफी समय लेने वाली हैं। सीबीआइ को अभिलेख नियत समय पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जल्द ही बचे हुए अभिलेख भी सीबीआइ को उपलब्ध करा दिए जाएंगे। लोक सेवकों के खिलाफ जांच के लिए अनुमति दिए जाने के मामले में सक्षम स्तर पर विवेचना की जा रही है। -अशोक कुमार, सचिव, लोक सेवा आयोग
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