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    High Court News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद स्वामित्व विवाद में पक्ष स्पष्ट

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 10:56 AM (IST)

    हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में अपना पक्ष स्पष्ट किया है। कोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण (ठा. केशवदेवजी महाराज) विराजमान व अन्य के वाद को प्रतिनिधि वाद माना है। वादी ने देश भर के मुस्लिमों को प्रतिवादी बनाया है और खुद को कृष्ण भक्तों का प्रतिनिधि बताया है। कोर्ट ने नोटिस प्रकाशित करने का आदेश दिया है ताकि हितबद्ध कृष्ण भक्त मुकदमे में अपना पक्ष रख सकें।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

     विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद के स्वामित्व संबंधी विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पक्ष स्पष्ट कर दिए हैं। एक पक्ष हिंदुओं में कृष्ण भक्तों का है जबकि दूसरा पक्ष मुस्लिम समुदाय का। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने वाद संख्या 17, जिसका शीर्षक है भगवान श्रीकृष्ण (ठा केशवदेवजी महाराज) विराजमान व चार अन्य, को प्रतिनिधि वाद स्वीकार कर लिया है।

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    केस में वादी ने देश भर के मुस्लिमों को प्रतिवादी बताया है और खुद को भगवान के भक्तों का प्रतिनिधि। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण व देश के मुस्लिम समुदाय के बीच भूमि संबंधी स्वामित्व का केस लड़ा जाएगा। वैसे मंदिर के ही तमाम पक्षकार इस निर्णय से सहमत नहीं हैं। वाद संख्या एक में अधिवक्ता रीना एन सिंह का कहना है कि वह रिकाल अर्जी दायर करेंगी।

    20 पेज के अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि इस न्यायालय के आदेश के क्रम में 19 नवंबर, 2024 को दैनिक जागरण में सीपीसी के आदेश 1 नियम 8 के अंतर्गत आवेदन के संबंध में सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी। इसमें कहा गया था कि वादीगण ने सामान्यतः हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से प्रतिवादियों के विरुद्ध वाद इस आधार पर दायर किया है कि वह और सभी व्यक्ति वाद की विषयवस्तु में रुचि रखते हैं।

    कोर्ट ने वादी को अपने खर्च पर राष्ट्रीय समाचार पत्र में इस आशय का नोटिस प्रकाशित कराने के लिए कहा है जिससे समस्त ऐसे कृष्ण भक्त जो हितबद्ध हों वह मुकदमे में अपना पक्ष रख सकते हैं। अदालत ने कहा, न्यायिक रूप से यह बात ध्यान देने योग्य है कि हिंदुओं के बड़े समुदाय जिनसे वादी संबंधित होने का दावा करते हैं, उन्हें किसी एक या सामान्य देवता, देवी, मूर्ति या देवता में भक्ति और विश्वास के संदर्भ में एकरूप नहीं कहा जा सकता, क्योंकि हिंदू समुदाय विभिन्न देवी-देवताओं में अपनी आस्था और श्रद्धा रखता है, कुछ मूर्तिपूजा में विश्वास करते हैं, कुछ निराकार ईश्वर जैसे आर्य समाज में विश्वास करते हैं। हिंदुओं में विभिन्न संप्रदाय और उप-संप्रदाय हैं जैसे वैष्णव, शैव, रामानंद, स्मार्त, शाक्त, इस्कान के सदस्य। नास्तिक, अज्ञेयवादी और कई अन्य जो मिलकर हिंदुओं का बड़ा समुदाय बनाते हैं।

    माना जा रहा है कि समाचार पत्र में नोटिस प्रकाशन उपरांत किसी भी श्रीकृष्ण भक्त को वादी होने का अधिकार कोर्ट आदेश से मिल जाएगा। यह भी असंतोष की वजह है। आदेश में यह ऐतिहासिक तथ्य भी उल्लेखित है कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण द्वापर युग (लगभग 5100 वर्ष पूर्व) भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मथुरा में तत्कालीन राजा कंस की कारागार में मानव रूप में प्रकट हुए।

    राजा चंद्रगुप्त द्वारा 1017 ई. में निर्मित श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर को महमूद गजनवी ने नष्ट किया था। जीर्णोद्धार 1150 ई. में महाराज विजयपाल देव ने करवाया। इसके बाद 16वीं शताब्दी के आरंभ में सिकंदर लोदी के शासनकाल में भव्य मंदिर फिर नष्ट कर दिया गया। इसके लगभग 125 वर्ष बाद जहांगीर के शासनकाल में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने भगवान श्री कृष्ण का भव्य मंदिर बनवाया।

    मुगल शासक औरंगजेब ने कटरा केशव देव नाम से विख्यात मंदिर के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया था और उसके स्थान पर स्थानीय मुसलमानों ने 1670 के आसपास मस्जिद ईदगाह बनाई। ब्रिटिश काल में पूरी संपत्ति (खाता संख्या 255 है और क्षेत्रफल 13.37 एकड़) राजस्व अभिलेखों में कटरा केशव देव के रूप में दर्ज थी। राजस्व न्यायालय ने 27 सितंबर, 1998 को इसका सीमांकन किया था।