‘स्कैन टू फिक्स’ तकनीक मिनटों में दूर करेगी बिजली खराबी, प्रयागराज माघ मेला में बिजली समस्या से मिलेगी निजात
प्रयागराज माघ मेले में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए यूपीपीसीएल ने स्कैन टू फिक्स तकनीक शुरू की है। इस तकनीक के तहत, बिजली कर्मियों को क्यूआर कोड स्कैन ...और पढ़ें

प्रयागराज माघ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को बिजली समस्या न झेलनी पड़े, इसके लिए स्कैन टू फिक्स तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। आस्था और परंपरा के साथ माघ मेले में आधुनिक तकनीकों का भी संगम देखने को मिलेगा। तीन जनवरी से शुरू होने जा रहे 44 दिवसीय माघ मेले की बिजली व्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने ऐसा हाईटेक सिस्टम तैयार किया है, जिससे मेले के दौरान अंधेरे या बिजली कटौती की आशंका लगभग खत्म हो जाएगी। इस बार माघ मेले में पहली बार ‘स्कैन टू फिक्स’ तकनीक लागू की जा रही है, जिसे इससे पहले कुंभ मेले में आजमाया जा चुका है।
निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रशासन के लिए चुनौती रहा है
करीब 800 हेक्टेयर क्षेत्र में फैलने वाले माघ मेले में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु कल्पवास करते हैं। संगम तट पर अस्थायी टेंट सिटी बसती है, जहां साधु-संतों से लेकर गृहस्थ श्रद्धालु तक प्रवास करते हैं। इतनी विशाल आबादी को निर्बाध बिजली आपूर्ति देना प्रशासन के लिए हमेशा चुनौती रहा है। हालांकि इस बार यूपीपीसीएल ने इसे अवसर में बदलते हुए स्मार्ट पावर मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया है।
7.5 लाख अस्थायी बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे
मुख्य अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि मेले की बिजली व्यवस्था के तहत लगभग 350 किलोमीटर लो-टेंशन (एलटी) लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है। 320 किलोमीटर से अधिक के लाइन का काम लगभग पूरा हो चुका है। मेले में करीब 7.5 लाख अस्थायी बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। कल्पवासियों के शिविर, अखाड़ों, संतों के डेरे, दुकानों, घाटों, मार्गों और प्रशासनिक शिविरों तक चौबीसों घंटे बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।
क्यूआर कोड से फाल्ट की मिलेगी सूचना
अधिशासी अभियंता माघ मेला अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि ‘स्कैन टू फिक्स’ तकनीक के तहत मेले में लगाए जा रहे हर बिजली पोल, लाइन और कनेक्शन पर बारकोड/क्यूआर कोड लगाया गया है। जैसे ही कहीं फाल्ट होता है, बिजलीकर्मी उस क्यूआर कोड को स्कैन करेंगे और कंट्रोल रूम से तुरंत उस स्थान की पूरी तकनीकी जानकारी उनके मोबाइल या टैब पर उपलब्ध हो जाएगी। इससे यह पता लगाने में समय नहीं लगेगा कि खराबी कहां है और किस तरह की है। माघ मेले की बिजली व्यवस्था पर इस बार करीब 32 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जो पिछले मेले की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है।
10 सेकेंड में बहाल होगी बिजली
बिजली बाधित होने की स्थिति में त्वरित बहाली के लिए इस बार पांच रिंग मेन यूनिट (आरएमयू) स्थापित की जा रही हैं। पिछले माघ मेले में केवल एक आरएमयू थी। नई व्यवस्था के तहत किसी भी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में वैकल्पिक लाइन के जरिए महज 10 सेकेंड के भीतर बिजली आपूर्ति बहाल की जा सकेगी। 25 हजार से अधिक एलईडी लाइटें लगाई जा रही हैं। संगम स्नान घाटों, प्रमुख मार्गों और चौराहों पर विशेष प्रकाश व्यवस्था की जा रही है। घाटों और मुख्य चौराहों पर हाइब्रिड सोलर लाइटें भी लगाई जाएंगी।
श्रद्धालुओं को भटकने से बचाएंगे 15 हजार बारकोड
अधिशासी अभियंता माघ मेला अशोक कुमार शर्मा के अनुसार यदि कोई श्रद्धालु मेले में रास्ता भटक जाता है, तो वह नजदीकी पोल पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर अपनी लोकेशन की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद एक गूगल फार्म खुलेगा, जिसके जरिए श्रद्धालु बिजली से जुड़ी शिकायत के साथ-साथ पानी की कमी, टूटी सड़क या अन्य बुनियादी समस्याओं की शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे। पूरे मेला क्षेत्र में 15 हजार से अधिक ऐसे बारकोड लगाए जा रहे हैं।

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