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    Prayagraj Flood Effect : सबसे ज्यादा करछना तहसील में हुआ बाढ़ से नुकसान, शासन के निर्देश पर हुए सर्वे रिपोर्ट में आकलन

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 12:41 PM (IST)

    पिछले दिनों प्रयागराज में आई बाढ़ में सबसे अधिक प्रभावित यमुनापार का करछना तहसील क्षेत्र रहा। यह आकलन शासन के निर्देश पर प्रशासन की ओर से कराए गए सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ है। यमुनापार के बारा और मेजा तहसील में भी बाढ़ ने कहर बरपाया था। गंगा यमुना व टोंस नदियों के बाढ़ ने काफी नुकसान किया है।

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    सर्वे रिपोर्ट में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान प्रयागराज की करछना तहसील में हुआ है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रयागराज में गंगा, यमुना और टोंस नदियों के बाढ़ से नुकसान का शासन के निर्देश पर सर्वे कराया जा रहा है। जिले की सभी आठ तहसीलों में सर्वे के लिए 56 टीमें लगाई गई हैं। करछना, मेजा, बारा, कोरांव, हंडिया, सोरांव व फूलपुर की सर्वे रिपोर्ट आ गई है। तीन नदियों गंगा, यमुना व टोंस से घिरे करछना क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। फसलों की क्षति होने से किसानों पर कुदरत का कहर टूट पड़ा। इस तहसील में कच्चे व पक्के मकानों को भी नुकसान हुआ है।

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    मेजा और बारा में भी बाढ़ ने बरपाया कहर 

    यमुनापार के मेजा और बारा में भी बाढ़ ने कहर बरपाया है। मेजा क्षेत्र दो नदियों गंगा व टोंस से घिरा है। इसी तरह बारा क्षेत्र के ज्यादातर गांव यमुना व टोंस के किनारे हैं। कोरांव में टोंस, बेलन व लपरी नदियों से क्षति हुई है। सोरांव, फूलपुर व हंडिया तहसील के गांव गंगा किनारे स्थित हैं। अभी सदर तहसील की रिपोर्ट नहीं आ सकी है।

    आठ दिन तक भरा रहा बाढ़ का पानी

    गंगा और यमुना से घिरे सदर तहसील की 62 बस्तियों में आठ दिन तक बाढ़ का पानी भरा रहा। लगभग 26 हजार मकानों में सात से आठ दिन पानी घुसा था। सब्जियों को नुकसान सबसे ज्यादा सोरांव व फूलपुर क्षेत्र में हुआ है। धान की फसल को नुकसान करछना, बारा, मेजा व फूलपुर में हुआ है।

    पानी में डूबने से सड़ गए धान के पौधे 

    दरअसल, धान की रोपाई होने के बाद जैसे पौधे बड़े होने शुरू हुए थे, तभी बाढ़ आ गई और आठ से नौ दिन तक धान के पौधे पानी में डूबे रहे। किसानों का कहना है कि इससे धान के पौधे सड़ गए। अब फिर से बोआई करनी पड़ सकती है। सर्वे रिपोर्ट जल्द ही शासन को भेजी जाएगी, जिसके मुताबिक ही मुआवजा मिलने की उम्मीद है।