रातोंरात बदल गया मोहल्ले का नजारा… सुबह हुई तो गलियों में चलने लगी नाव, यूपी के इस जिले में आई बाढ़, कई गांव डूबे
प्रयागराज में यमुना नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ने के कारण कई मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं। अचानक पानी बढ़ने से 30 हज़ार से ज़्यादा लोग घरों में फंस गए। प्रशासन ने चार शरणालय स्थापित किए हैं जहाँ 450 लोग रह रहे हैं। लोगों को सुरक्षित रहने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है क्योंकि जलस्तर अभी और बढ़ने की आशंका है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। यमुना में पिछले कई वर्षों बाद इतना जल्दी पानी बढ़ा कि रात भर में पांच लाख क्यूसेक पानी आ गया, जिससे दो मीटर से ज्यादा जलस्तर बढ़ गया। सोमवार रात में अपने घरों में सो रहे लोगों को बाहर तक निकलने का मौका ही नहीं मिल सका।
मंगलवार सुबह उठे तो उनके घरों में पानी घुस गया था। इससे तटीय क्षेत्रों के मोहल्लों में रहने वाले 30 हजार से ज्यादा लोग घरों में ही फंसे रह गए। ऐसे लोगों ने पहली और दूसरी मंजिल पर ठौर बनाया है।
यमुना में जिस तेजी से पानी बढ़ रहा है कि उससे बुधवार सुबह से दोपहर के बीच तक खतरे के निशान को पार करने की संभावना जताई गई है। सोमवार रात को पांच लाख तो मंगलवार दिन में साढ़े पांच लाख और देर रात में पौने छह लाख क्यूसेक पानी यमुना में आने लगा।
बुधवार सुबह तक यह आंकड़ा सात लाख क्यूसेक होने की संभावना है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता डीएन शुक्ला ने बताया कि चंबल के साथ ही केन और बेतवा के उफान पर होने के चलते यमुना का इतनी तेजी से जलस्तर बढ़ा है।
बताया कि टोंस नदी में भी पानी बढ़ने से गंगा की धारा अवरुद्ध होने लगी है। यमुना के कारण गंगा के जलस्तर पर भी असर पड़ा है। गंगा और यमुना का जल स्तर बढ़ने के चलने चलते विभाग के अधिकािरियों व अन्य स्टाफ को तटीय इलाकों में लगा दिया गया है।
बाढ़ के चलते शहर के कई मोहल्लों के साथ ही झूंसी, करछना क्षेत्र में नावों का संचालन शुरू करा दिया गया है। दो दर्जन गांवों के 31 मार्गों पर पानी भर गया है।
शहर में चार शरणालयों में साढ़े चार सौ लोग पहुंचे
गंगा और यमुना में आई बाढ़ के चलते शहर के निचले इलाकों के लोग बेघर होने लगे हैं। एसडीएम सदर अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि कैंट विवाह घर सदर बाजार, महबूब अली इंटर कालेज, एनी बेसेंट कालेज बघाड़ा व ऋषिकुल इंटर कालेज राजापुर में शरणालय मंगलवार को शुरू करा दिया गया।
इनमें मंगलवार रात तक लगभग 450 बाढ़ प्रभावित लोग पहुंच चुके थे। सबसे ज्यादा कैंट विवाह घर में 235 लोग पहुंचे थे, जबकि एनी बेसेंट में 115 और ऋषिकुल व महबूब अली में 50-50 शरणार्थी पहुंचे थे।
बाढ़ का प्रभाव
- प्रभावित मोहल्ला-12 (मऊ कछार, मऊ सरैया, राजापुर देह माफी, गंगानगर, बेली, बघाड़ा, नेवादा, सादियाबाद, शंकरघाट, अशोक नगर कछार, सोनौटी, बदरा)
- संचालित राहत शिविर- चार
- ऐसे परिवार जो राहत शिविर में निवास कर रहे हैं- 450
- आवागमन प्रभावित ग्राम-मोहल्ले- 44
- मंगलवार को संचालित नाव- 16
- लंच पैकेट व डिनर पैकेट वितरण- 650
बाढ़ के दौरान क्या करें, क्या न करें
- बाढ़ के दौरान पानी में न जाएं, किसी भी प्रकार की जल क्रीड़ा न करें।
- किसी भी जल प्रपात में न जाएं, नहाना एवं नदी, तालाब, घाटों के किनारे न जाएं।
- जलप्रपात में कोई भी वाहन न चलाएं। चेतावनी प्राप्त होते ही सतर्कता बरतें
- चिह्नित ऊंचे स्थानों व प्रशासन द्वारा स्थापित बाढ़ शरणालयों में निवास करें।
- पहले गर्भवती, बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांगों व बीमार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाएं।
- घर छोड़ने से पहले बिजली का मुख्य स्विच और गैस रेगुलेटर को बंद कर दें, शौचालय सीट को बालू से भरी बोरी से ढक दें।
- बाढ़ में डूबे हुए हैंडपंप का पानी पीने के लिए प्रयोग न करें। पानी उबाल कर ही पिएं तथा क्लोरीन का उपयोग करें।
- बासी व खुले भोजन का सेवन न करें। आशा वर्कर और एएनएम से मदद लेकर गर्भवती के प्रसव की व्यवस्था करें।
- बिजली के खंभों, तारों और ट्रांसफार्मर से दूर रहें। क्षमता से अधिक लोग नाव पर न बैठें।
- सांप, बिच्छू और विषैले जीव-जंतुओं से सतर्क रहें। सांप के डसने पर फौरन अस्पताल ले जाएं।
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