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    Prayagraj Flood : पिछले 24 घंटे में गंगा 45 व यमुना का जलस्तर 56 सेमी बढ़ा, खतरे के निशान के बिल्कुल करीब पहुंचीं

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 12:44 PM (IST)

    Prayagraj Flood प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर कम नहीं हो रहा है बल्कि लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के बिल्कुल करीब पहुंच चुका है। खतरे का निशान यहां 83.73 मीटर है। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कछारी इलाकों में बाढ़ को लेकर हलचल मची है।

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    प्रयागराज में बाढ़ का खतरा: गंगा और यमुना खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंचीं

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Prayagraj Flood संगम नगरी में अब बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। गंगा और यमुना खतरे के निशान के बिल्कुल करीब पहुंच गई हैं। रविवार सुबह गंगा का जलस्तर 83.06 मीटर पहुंच गया, जबकि यमुना का जलस्तर 83.19 मीटर हो गया। पिछले 24 घंटे में गंगा 45 तो यमुना 56 सेमी बढ़ी हैं। प्रयागराज में दोनों नदियां चेतावनी बिंदु 82.73 मीटर पार कर गई हैं, जबकि खतरे के निशान 83.73 मीटर के पास है।

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    आज शाम तक खतरे के निशान को पार कर सकता है जलस्तर

    रविवार शाम तक गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है। ऐसा जिला प्रशासन ने संभावना जताई है। प्रशासन का कहना है कि मध्य प्रदेश की केन व बेतवा नदियों तथा राजस्थान की चंबल नदी का कुल साढ़े लाख क्यूसेक पानी यमुना में आ रहा है। इसी तरह गंगा में हरिद्वार व कानपुर बैराज तथा नरौरा बांध से ढाई लाख क्यूसेक पानी आ रहा है। इससे बाढ़ का असर और बढ़ेगा।

    गंगा-यमुना के तटीय 11 मुहल्लों व 43 गांवों में घुसा पानी 

    गंगा-यमुना नदियों में उफान के चलते शहर के तटीय 11 मुहल्लों व 43 गांवों में पानी घुस गया है। इसके कारण 40 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन की ओर से शहर में 10 शरणालय तैयार कराए गए हैं, जिनमें तीन को सक्रिय कर दिया गया है। तीनों शरणालयों में 105 लोग अब तक शरण ले चुके हैं। बाढ़ राहत शिविरों में दिन और रात में मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस की भी तैनाती की गई है।

    तीन तहसीलों में 18 मार्ग जलमग्न, नाव बनीं सहारा

    बाढ़ के चलते करछना, मेजा, बारा तथा सोरांव, फूलपुर और हंडिया तहसील क्षेत्र के तटीय गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। फूलपुर के बदरा और सोनौटी गांवों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग जलमग्न हो गया है। इस तरह से जिले भर में 18 मार्गों पर बाढ़ का पानी बहने लगा है। जलमग्न हुए मार्गों पर जिला प्रशासन की ओर से अब तक 56 नावें लगाई गई हैं। वहीं बाढ़ में फंसे शहर के दारागंज, बघाड़ा, सादियाबाद, ढरहरिया, राजापुर, नेवादा, द्रौपदी घाट, बेली कछार, शंकरघाट के क्षेत्रों में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवान मोटर बोट के साथ पहुंचे हैं।

    गांवों से लेकर शहर तक बनाईं गईं 87 बाढ़ राहत चौकियां

    बाढ़ के मद्देनजर गांवों से लेकर शहर तक जिला प्रशासन की ओर से 87 बाढ़ राहत चौकियां बनाई गई हैं। इन चौकियों में राजस्व कर्मियों के साथ ही होमगार्ड भी तैनात किए गए हैं। चौकियां बाढ़ की निगरानी के साथ किसी भी पीड़ित परिवार को निकालने तथा उनके भोजन व रहने के प्रबंध में आगे रहेंगे। फूलपुर, हंडिया, सोरांव, करछना, बारा, मेजा तहसीलों के 52 गांवों तथा शहर के विभिन्न मुहल्लों में 35 बाढ़ राहत चौकियां बनाई गई हैं। इन चौकियों में तैनात स्टाफ को नाव भी दी रविवार शाम तक उपलब्ध करा दी जाएंगी। चौकियों पर सीयूजी मोबाइल नंबर के साथ वायरलेस सेट भी दिया जा रहा है।