Raksha Bandhan 2025 : आयुष्मान और सौभाग्य योग में भाई की कलाई सजेगी, देखें राखी बांधने का शुभ मुहुर्त व समय
Raksha Bandhan 2025 प्रयागराज के ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व नौ अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा का कोई प्रभाव नहीं है इसलिए दिनभर राखी बांधी जा सकती है। पूर्णिमा तिथि आठ अगस्त को दोपहर से शुरू होकर नौ अगस्त को दोपहर तक रहेगी। इस दिन आयुष्मान और सौभाग्य योग का अद्भुत संयोग है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Raksha Bandhan 2025 भाई-बहन के आत्मीय स्नेह का पर्व रक्षाबंधन इस बार श्रावणी पूर्णिमा नौ अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। भद्रा व पंचक को कोई प्रभाव नहीं होने के कारण राखी दिनभर बांधी जाएगी। आयुष्मान और सौभाग्य योग के अद्भुत संयोग में बहनें भाई की कलाई में राखी बांधकर उनकी कुशलता की कामना करेंगी।
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि आठ अगस्त की दाेपहर 1.42 बजे लगकर नौ अगस्त की दोपहर 1.24 बजे तक रहेगी। व्रत में शाम को पूर्णिमा होना आवश्यक है। इस कारण पूर्णिमा का व्रत आठ अगस्त को रखा जाएगा।
इस योग में राखी बांधना अत्यंत कल्याणकारी
उदया तिथि के कारण रक्षाबंधन नौ अगस्त को मनाया जाएगा। नौ अगस्त को दोपहर 3.30 बजे तक श्रवण नक्षत्र है। इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र लगेगा। आयुष्मान योग सुबह 5.56 बजे तक है। इसके बाद दिनभर सौभाग्य योग रहेगा। इसमें राखी बांधना अत्यंत कल्याणकारी होता है।
राखी बांधते समय बहनें इस मंत्र का करें उच्चारण
Raksha Bandhan 2025 पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार इस वर्ष भद्रा रात्रिकाल में ही समाप्त हो रहा है। इसलिए नौ अगस्त को दिनभर कभी भी रक्षासूत्र बांधना शास्त्रोचित है। बहनें ‘येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रो महाबलः॥ तेन त्वाम प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल’ मंत्र का उच्चारण करते हुए भाइयों की कलाइयों पर रक्षासूत्र या राखी बांधकर तिलक करके भाइयों को अपनी रक्षा तथा अपने रिश्तों के प्रति कर्तव्य का स्मरण कराएं। भाई भी बहनों की रक्षा तथा कुशलक्षेम के लिए संकल्पित हों।
भाइयों को बहनें बांधे वैदिक राखी
Raksha Bandhan 2025 श्री स्वामी नरोत्तमानंद गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य सामवेदाचार्य ब्रजमोहन पांडेय के अनुसार रक्षाबंधन पर्व वैदिक विधान से मनाना चाहिए। बहनें इस बार वैदिक राखी का प्रयोग करें। इसे आसानी से घर में तैयार किया जा सकता है। इसमें पांच वस्तुओं की आवश्यकता होती है, जिनसे रक्षासूत्र का निर्माण होता है। इनमें दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चंदन और सरसों के दाने शामिल हैं। इन पांच वस्तुओं को पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध कर इसे कलावा में पिरोकर वैदिक राखी तैयार की जाती है।
29 वर्ष बाद बन रहा है संयोग
वैदिक रीति से तैयार रक्षासूत्र का महत्व और शक्तियां बढ़ जाती हैं। वैदिक राखी में दूर्वा (घास) का उपयोग किया जाता है, जो गणेशजी को प्रिय है। यह भाई के जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करती है। बताया कि मकर राशि के स्वामी शनि और सूर्य आपस में समसप्तक योग बना रहे हैं। 29 वर्ष बाद ऐसा संयोग बना है कि रक्षाबंधन पर शनि मीन और सूर्य कर्क राशि पर रहेंगे।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5.29 से 6.05 बजे तक
-सर्वोत्तम मुहूर्त : सुबह 6.06 से 8:20 बजे तक
-विजय मुहूर्त : सुबह 10.47 से मध्याह्न 11.58 बजे तक
-अभिजीत मुहूर्त मध्याह्न 11.59 से दोपहर 12.53 बजे तक।
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