प्रयागराज में जल संरक्षण की बड़ी पहल, अमृत सरोवरों से ढाई लाख किसानों को मिल रहा लाभ
प्रयागराज में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर योजना के तहत 583 सरोवर बनाए गए हैं। यमुनापार क्षेत्र में बने इन सरोवरों से लगभग ढाई लाख किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। इस परियोजना पर 135 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और 310 नए सरोवर निर्माणाधीन हैं। इन सरोवरों से वर्षा जल का संचय कर सिंचाई और पशुपालन में उपयोग किया जा रहा है।

ज्ञानेंद्र सिंह, प्रयागराज। धर्म-अध्यात्म का गौरव कराने वाली संगम नगरी अब जल संरक्षण का संदेश भी देगी। पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना समेत 14 नदियों वाले तीर्थराज में वर्षा जल संचय के लिए बड़ी पहल की गई है। अमृत काल में प्रयागराज में 583 अमृत सरोवर बनवाए गए हैं। लगभग 7750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बने इन सरोवरों में 2.5 अरब लीटर वर्षा जल का संचय किया जाएगा।
अमृत सरोवरों का सबसे अधिक निर्माण यमुनापार क्षेत्र में हुआ है, जहां बड़ी मात्रा में वर्षा जल को संचित करने की व्यवस्था की गई है। इससे अभी तक 583 गांवों के लगभग ढाई लाख किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है।
परियोजना पर खर्च किए जा चुके 135 करोड़
इस परियोजना पर अब तक लगभग 135 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके साथ ही 310 नए अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य जारी है। इनके तैयार होने के बाद लगभग चार अरब लीटर जल का संचय हो सकेगा। इसके अलावा 647 और अमृत सरोवरों के विकास का प्रस्ताव है, फिर लगभग 7.15 अरब लीटर वर्षा के जल का संरक्षण हो सकेगा। ग्राम पंचायतों के स्तर से ही सरोवरों के जल का उपयोग हो रहा है।
प्रदेश में प्रथम स्थान: सरोवरों की खोदाई तीन से लेकर साढ़े तीन मीटर गहराई में कराई गई है। अमृत सरोवरों के निर्माण से लेकर सौंदर्यीकरण का कार्य मनरेगा के तहत हो रहा है। उपायुक्त मनरेगा गुलाब चंद्र ने बताया कि अमृत सरोवरों के निर्माण में प्रयागराज पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है।
सभी सरोवरों के निर्माण के बाद सात अरब लीटर से अधिक वर्षा का जल संचय किया जा सकेगा, जिससे भूगर्भ जल के स्तर काफी सुधार होने की उम्मीद है। तीर्थराज प्रयागराज की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर साबित होगी।
सरोवरों के सौंदर्यीकरण की भी समीक्षा
मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका ने बताया कि अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए ज़िला और तहसील स्तरीय अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है। ये कमेटी सरोवरों के लिए जमीन से लेकर खोदाई और सौंदर्यीकरण के कार्यों की निगरानी तथा समीक्षा कर रही है। जल संकट से जूझ रहे समय में प्रयागराज की यह पहल अनुकरणीय है।
डार्क जोन से आए यलो जोन में
विशेष तौर पर भूमिगत जल समेत पानी की उपलब्धता के मामले में डार्क जोन वाले ब्लाक चाका और सहसों में भी इन प्रयासों के कारण सुधार दिखने लगा है। पहले डार्क जोन में शामिल बहादुरपुर, सैदाबाद, धनूपुर, प्रतापपुर ब्लाक क्षेत्र सेमी क्रिटिकल जोन (यलो जोन) में आ गए हैं।
अमृत सरोवरों के रख-रखाव से लेकर इनके जल के प्रयोग के लिए ग्राम पंचायत की जल प्रबंधन समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये अमृत सरोवर जल संचयन के सात ही सिंचाई, पशु व मत्स्य पालन में उपयोग किए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी प्रयागराज, रविंद्र कुमार मांदड़ ने कहा
अमृत सरोवरों के निर्माण साथ ही उनका सौंदर्यीकरण भी तेजी से कराया गया है। आने वाले मानसून में इन सरोवरों में वर्षा जल के संरक्षण की कोशिश की जा रही है। बारिश के पानी के संरक्षण से भूगर्भ जल का स्तर मेंटेन हो सकेगा।
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