Sanskrit In Foreign Countries: अमेरिका, यूरोप और मध्यपूर्व में बढ़ रही है संस्कृत की लोकप्रियता
Sanskrit In Foreign Countriesअमेरिका यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में संस्कृत लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से संस्कृत पढ़ने के लिए इस वर्ष 26 देशों से 8200 आवेदन आए हैं। इस सत्र से 150 से अधिक विषयों में आनलाइन पाठ्यक्रम शुरू हुआ है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। वेदों, उपनिषदों में छिपे वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने के लिए विदेशियों में संस्कृत पढ़ने की ललक बढ़ी है। अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में संस्कृत की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में हुए आनलाइन आवेदन से लगाया जा सकता है। इस वर्ष से आनलाइन पाठ्यक्रमों की शुरूआत के बाद 26 देशों से 8200 से अधिक आवेदन आए हैं। इसमें 60 प्रतिशत विदेशी और एनआइआई शामिल हैं। दूसरे देशों से सबसे अधिक आवेदन अमेरिका से आए हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देशभर में 13 परिसर और 25 महाविद्यालयों में अपने प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा और उपाधि पाठ्यक्रम संचालित करता है। प्रयागराज में संस्कृत विश्वविद्यालय का गंगानाथ झा परिसर कंपनी बाग में संचालित है। विश्वविद्यालय ने सत्र 2023-24 से 150 से अधिक विषयों में आनलाइन कोर्स शुरू किया। इसमें 16 प्रमाणपत्र कार्यक्रम, छह एडवांस प्रमाणपत्र, छह डिप्लोमा, चार एडवांस डिप्लोमा और चार प्रोफिशिएंसी स्तर के कार्यक्रम शामिल हैं।
इसके साथ ही प्राक, शास्त्री और आचार्य (स्नातक-परास्नातक) के भी आनलाइन पाठ्यक्रम की शुरूआत की गई है। गंगानाथ झा परिसर के निदेशक प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी के अनुसार पहले दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कोर्स चलाए जाते थे। कोविड महामारी के बाद विश्वविद्यालय ने आनलाइन कोर्स के लिए यूजीसी में आवेदन किया। इसके लिए नैक ए-डबल प्लस ग्रेड की आवश्यकता होती है।
2023 में ग्रेड मिलने के बाद यूजीसी ने आनलाइन कोर्स की अनुमति दे दी थी। आवेदन से उत्साहित विश्वविद्यालय अगले वर्ष से अंग्रेजी में संस्कृत के आनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेगा। इन देशों से आए आवेदन आवेदन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर थी। इसके बाद आए आवेदन के आंकड़ों के अनुसार भारत के अलावा अमेरिका, आस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी, हांगकांग, इंडोनेशिया, बहामास, बहरीन, बांग्लादेश, कनाडा, हांगकांग, आयरलैंड, इटली, कजाकिस्तान, कुवैत, मारीशस, नेपाल, रूस, सिंगापुर, ओमान, स्वीडन, ताइवान, यूक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं।
यह पाठ्यक्रम शुरू किए गए प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, एडवांस प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों में संस्कृत भाषा, सरलमानकसंस्कृतम्, प्राक्शास्त्री, काव्य, व्याकरण शास्त्र, ज्योतिष, साहित्यशास्त्र, दर्शनशास्त्र, भारतीय ज्ञान परंपरारा, भारतीय प्राचीन रसायन, नैतिक शिक्षा, संस्कृत पत्रकारिता, पालि-प्राकृत परिचय व प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम शामिल है। इसके अलावा परास्नातक व स्नातक में शास्त्री व आचार्य के आनलाइन पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं।
अन्य देशों से आए आवेदन संस्कृत की बढ़ती लोकप्रियता की ओर इशारा करते हैं। विदेशों में संस्कृत ग्रंथ पर काफी शोध हो रहे हैं। प्रबंधन के नए सिद्धांत तैयार करने में संस्कृत के ग्रंथ काफी उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। अगले वर्ष से संस्कृत के पाठ्यक्रमों को आंग्लभाषा यानी अंग्रेजी में भी शुरू किया जाएगा।
प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी निदेशक, गंगानाथ झा परिसर
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