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    Pooja Pal Profile: सपा की तरह बसपा से भी बाहर हुई थी पूजा पाल, मायावती को था शक; राजू हत्याकांड से मिली पहचान

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 08:40 PM (IST)

    प्रयागराज से कौशांबी की चायल सीट की विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। बसपा ने भी उन्हें पहले पार्टी से निकाला था। 2005 में उनके पति राजू पाल की हत्या के बाद मायावती ने उन्हें चुनाव लड़वाया था। पूजा पाल ने 2007 और 2012 में जीत दर्ज की लेकिन 2017 में हार गईं। 2019 में वह सपा में शामिल हुईं और 2022 में विधायक बनीं।

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    13 वर्ष बसपा व साढ़े छह साल सपा में पूजा पाल ने की सियासत

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। पूजा पाल के साथ यह पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले बहुजन समाज पार्टी भी उन्हें बाहर कर चुकी है।

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    बसपा को सिर्फ इतनी सुगबुगाहट मिली थी कि वह पार्टी बदल सकती हैं, बस बिना देर किए पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अपने 20 वर्ष के सियासी सफर में पूजा पाल 13 वर्ष बसपा व करीब साढ़े छह साल सपा में रहीं।

    कटघर मुहल्ले में पली-बढ़ी पूजा पाल की शादी जनवरी 2005 में शहर पश्चिमी के तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल से हुई। विवाह के 25 जनवरी को राजू पाल को सुलेमसरांय दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई।

    राजू पाल हत्याकांड के बाद मिली थी पहचान

    पूजा पाल ने माफिया अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। राजू पाल की हत्या के बाद शहर में दंगा भड़क गया था। कई दिनों तक तोड़-फोड़ की गई। उस समय बसपा सुप्रीमो मायावती प्रयागराज आयीं।

    उन्हाेंने पूजा पाल के आंसू पोछते हुए उन्हें शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए टिकट दिया। हालांकि, पूजा पाल के खिलाफ सपा ने उनके पति के हत्यारोपित अशरफ को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में पूजा पाल को हार का सामना करना पड़ा।

    इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने फिर पूजा पाल को शहर पश्चिम से मैदान में उतारा और इस बार अशरफ को पराजित करते हुए वह पहली बार विधायक बनीं। 2012 में बसपा ने फिर इसी सीट से टिकट दिया।

    इस बार पूजा पाल माफिया अतीक अहमद को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचीं। लगातार दो जीत दर्ज करने के बाद सियासत में उनका कद बढ़ गया। हालांकि 2017 में बसपा के टिकट पर इसी सीट से वह मैदान में उतरीं, लेकिन भाजपा की लहर में सिद्धार्थनाथ सिंह के सामने उन्हें हार झेलनी पड़ी।

    फरवरी 2018 में बसपा सुप्रीमो मायावती को पता चला कि पूजा पाल दूसरी पार्टी में जा सकती हैं तो उन्होंने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हलाांकि, उस समय पूजा पाल ने कहा था कि वह दूसरी पार्टी में नहीं जाना चाहती थीं।

    कुछ माह बीतने के बाद वर्ष 2019 में पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2022 में सपा ने पूजा को कौशांबी के चायल सीट से टिकट दिया और वह जीत गईं। अब सपा ने भी उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।