मृत्यु के तीन साल बाद मृतक के नाम पुलिस ने दर्ज की FIR, हाई कोर्ट अवाक; कहा- तो क्या ‘भूत’ ने लिखाई रिपोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक ऐसा केसा आया जिसे सुनकर कोर्ट भी अवाक रह गया। कुशीनगर में एक व्यक्ति की मौत के तीन साल बाद पुलिस ने उसकी ओर से धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई भी कर दी। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि भूत ने प्राथमिकी दर्ज कराई। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी के लिए यह तथ्य आश्चर्य में डालने वाला रहा।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक अजीबो-गरीब मामले को सुना गया। पुरुषोत्तम सिंह व चार अन्य की याचिका की सुनवाई के दौरान पता चला कि कुशीनगर में एक व्यक्ति की मौत के तीन साल बाद पुलिस ने उसकी ओर से धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई भी कर दी।
कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि भूत ने प्राथमिकी दर्ज कराई। कोर्ट ने पूरे प्रकरण में आपराधिक केस की कार्रवाई रद करके एसपी कुशीनगर को जांच का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी के लिए यह तथ्य आश्चर्य में डालने वाला रहा।
उन्होंने कहा, ‘केस के तथ्य से वह अवाक हैं, किस तरह पुलिस अपराध की विवेचना करती है। पुलिस ने तीन साल पहले मरे आदमी का बयान दर्ज कर लिया।’ कोर्ट ने निर्दोष को परेशान करने वाले ‘भूत’ का बयान दर्ज करने वाले विवेचना अधिकारी की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश एसपी कुशीनगर को दिया है।
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कोर्ट ने कहा, ममता देवी ने अधिवक्ता विमल कुमार पांडेय को मृत व्यक्ति का हस्ताक्षर किया हुआ वकालतनामा दिया है। हाई कोर्ट ने बार एसोसिएशन से कहा कि वकील को भविष्य में सावधानी बरतने की सीख दे।मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि शिकायतकर्ता शब्द प्रकाश की मौत 19 दिसंबर 2011 को हो गई थी।
इसका समर्थन सीजेएम कुशीनगर की उस रिपोर्ट में भी किया गया है जो उन्होंने मृतक की पत्नी के बयान व मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर दिया है। मौत के बावजूद 2014 में शब्द प्रकाश के नाम से कोतवाली हाता में प्राथमिकी लिखाई गई।
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पुलिस ने 23 नवंबर, 2014 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी और मर चुके शब्द प्रकाश को अभियोजन का गवाह नामित कर दिया। याचिका में केस कार्रवाई की वैधता को चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग की गई थी।