'नाबालिगों के हित में बना पॉक्सो एक्ट अब उनके शोषण का साधन बना', इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट नाबालिग बच्चों को यौन शोषण से बचाने के बजाय उनके शोषण का साधन बन गया है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने एक मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि किशोरों के बीच प्रेमपूर्वक सहमति से बने संबंध को अपराध बनाना इस कानून का उद्देश्य नहीं है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया पाक्सो एक्ट अब उनके शोषण का साधन बन गया है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने एक मामले में आरोपित की जमानत मंजूर करते हुए कहा, ‘किशोरों के बीच प्रेम पूर्वक सहमति से बने संबंध का अपराधीकरण करने के लिए यह कानून नहीं है।
यदि पीड़िता का बयान नजरअंदाज कर आरोपित को जेल में पीड़ा भोगने के लिए छोड़ दिया जाता है तो यह न्याय के साथ अन्याय होगा।’ उक्त टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आरोपित की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। चंदौली के चकिया थाने में 18 वर्षीय आरोपित के खिलाफ 16 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2), 87, 65(1) और पाक्सो एक्ट की धारा 3/4(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सात मार्च 2025 को गिरफ्तारी की गई। दलील दी गई कि मामला सहमति से संबंध बनाने का है और घटना की कोई मेडिकल पुष्टि नहीं हुई है। एफआइआर दर्ज करने में 15 दिन की देरी का कारण नहीं है। याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा। तथ्यों और परिस्थितियों, रिकार्ड पर मौजूद साक्ष्यों और प्राथमिकी दर्ज करने में 15 दिनों की अत्यधिक देरी जैसे तथ्य ध्यान में रखते हुए पीठ ने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना जमानत मंजूर कर ली।
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