Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूजा स्थल अधिनियम वहीं लागू जहां कोई विवाद नहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में HC में बोला मंदिर पक्ष

    मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को मंदिर पक्ष की तरफ से कहा गया कि वर्शिप एक्ट 1991 केवल वहीं लागू होगा जहां कोई विवाद नहीं है। विवादित स्थल के मामले में यह कानून नहीं लागू होगा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में संरचना का चरित्र अभी तय किया जाना बाकी है।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 21 May 2024 08:30 AM (IST)
    Hero Image
    पूजा स्थल अधिनियम वहीं लागू जहां कोई विवाद नहीं: मंदिर पक्ष

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को मंदिर पक्ष की तरफ से कहा गया कि पूजा स्थल अधिनियम (वर्शिप एक्ट) 1991 केवल वहीं लागू होगा, जहां कोई विवाद नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विवादित स्थल के मामले में यह कानून नहीं लागू होगा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में संरचना का चरित्र अभी तय किया जाना बाकी है और यह साक्ष्य द्वारा तय किया जा सकेगा।

    आज भी होगी मुकदमे की सुनवाई

    न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने मुकदमे में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रखने को कहा है। यह दोपहर दो बजे से शुरू होगी। मंदिर पक्ष ने दोहराया कि अवैध निर्माण को लेकर मुकदमा चलाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती। मुकदमों की पोषणीयता (सुनवाई योग्य हैं या नहीं) के संबंध में सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत प्रार्थना पत्र पर निर्णय केवल मुद्दों को तैयार करने और पक्षकारों से साक्ष्य पेश करने के बाद ही लिया जा सकता है।

    प्रकरण में 1968 में हुए समझौते को मुकदमे की पोषणीयता पर निर्णय लेने के चरण में भी नहीं देखा जा सकता। मस्जिद पक्ष ने कहा था कि मुकदमा मियाद अधिनियम से वर्जित है, क्योंकि पक्षकारों ने 12 अक्टूबर, 1968 को समझौता कर लिया था।

    समझौते द्वारा विवादित भूमि शाही ईदगाह की इंतेजामिया कमेटी को दे दी गई थी। वर्ष 1974 में तय सिविल वाद में इस समझौते की पुष्टि की गई है। किसी समझौते को चुनौती देने की सीमा तीन साल है, लेकिन मुकदमा 2020 में दायर किया गया है।

    इसे भी पढ़ें: पुलिस के हाथ लगी बड़ी कामयाबी, माफिया अशरफ का साला सैफी गिरफ्तार; प्रयागराज में दबिश जारी

    मंदिर पक्ष का कहना है कि वर्ष 1980 में मानिक चंद बनाम रामचंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि एक नाबालिग अनुबंध में प्रवेश कर सकता है लेकिन संरक्षक के माध्यम से। साथ ही ऐसा कोई अनुबंध तभी बाध्यकारी होता है, जब वह नाबालिग के पक्ष में हो। यही बात देवता के मामले में भी लागू होगी।