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    Padma Shri Award: संगम नगरी के लिए गौरव का क्षण, डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल पद्मश्री से सम्मानित

    Updated: Sun, 26 Jan 2025 03:43 PM (IST)

    डॉ. अग्रवाल ने कोलकाता (पुराना कलकत्ता) के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट से स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1968 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में लेक्चरर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। 35 वर्षों तक उन्होंने शिक्षा शोध और कला के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान से विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ाई। उन्हें पद्मश्री मिलना संगम नगरी के लिए गर्व का क्षण है।

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    डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल पद्मश्री से सम्मानित। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार 2025 की घोषणा की। इस प्रतिष्ठित सूची में प्रयागराज के कला गुरु, प्रख्यात लेखक और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के स्थापक डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल को पद्मश्री के लिए चुना गया है।

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    उनका नाम शामिल होना संगम नगरी के लिए गर्व का क्षण है। कला और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह सम्मान मिला।

    डॉ. अग्रवाल ने कोलकाता (पुराना कलकत्ता) के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट से स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1968 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में लेक्चरर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। 35 वर्षों तक उन्होंने शिक्षा, शोध और कला के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान से विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ाई।

    डॉ. अग्रवाल ने प्रयाग संगीत समिति में दृश्य कला संकाय की स्थापना की

    साल 1979 में शोध प्रबंध "भारतीय चित्रकला में रीतिकालीन साहित्य की अभिव्यक्ति" पर डीफिल की उपाधि प्राप्त की। उनके प्रयासों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीएफए, एमएफए और शोध कार्यक्रम की शुरुआत हुई। वर्ष 2003 में सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. अग्रवाल ने प्रयाग संगीत समिति में दृश्य कला संकाय की स्थापना की और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

    डॉ. अग्रवाल के चित्र देश-विदेश में सराहे गए हैं

    उनके चित्रकला संबंधी लेख और पुस्तकें कला जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। डॉ. अग्रवाल के चित्र देश-विदेश में सराहे गए हैं और विभिन्न संग्रहालयों में संग्रहीत हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला शिविरों, कार्यशालाओं और सेमिनारों में भाग लिया और अपनी विद्वता की छाप छोड़ी।

    उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य के रूप में मनोनीत डॉ. अग्रवाल ने नवोदित कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने कई कला प्रदर्शनी का संचालन किया और कला त्रैमासिक पत्रिका का संपादन किया।

    'डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल को सम्मान मिलना कला का सम्मान है'

    डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा कि यह सम्मान कला का सम्मान है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय दृश्य कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अजय जैतली ने कहा कि डॉ. अग्रवाल की उपलब्धि न केवल प्रयागराज बल्कि समूचे कला और शिक्षा जगत के लिए प्रेरणादायक है। पद्मश्री सम्मान उनकी दशकों की साधना, समर्पण और कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान का प्रमाण है। उनके सम्मानित होने से प्रयागराज की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत को एक नई पहचान मिली है।

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