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    North Central Railway : ट्रेनों के AC कोच में मिलेगा अब कवर युक्त कंबल, NCR के तीनों मंडल में यात्रियों को मिलेगी सुविधा

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sat, 18 Oct 2025 08:00 PM (IST)

    उत्तर मध्य रेलवे ने ट्रेनों के एसी कोच में यात्रियों को अब कवर युक्त कंबल देने का फैसला किया है। यह सुविधा प्रयागराज, झांसी और आगरा तीनों मंडलों में शुरू की जाएगी। रेलमंत्री के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है, जिससे यात्रियों को स्वच्छ और आरामदायक सफर का अनुभव होगा। हर सफर के बाद कंबल के खोल की धुलाई होगी, जिससे यात्रियों को हर बार साफ कंबल मिलेगा। इस सुविधा से रेलवे का रखरखाव खर्च भी कम होगा।

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    उत्तर मध्य रेलवे जोन की ट्रेनों के एसी कोचों में बेहतर स्वच्छता के साथ कंबल उपलब्ध कराए जाएंगे।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। रेलमंत्री के निर्देश पर अब उत्तर मध्य रेलवे (NCR) की सभी वातानुकूलित (AC) कोच वाली ट्रेनों में यात्रियों को खोल युक्त कंबल दिए जाएंगे। इस कदम से यात्रियों को स्वच्छ, आरामदायक और स्वास्थ्यवर्धक सफर का अनुभव मिलेगा।

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    प्रयागराज एक्सप्रेस जैसी वीआइपी ट्रेनों में जल्द सुविधा

    खासकर प्रयागराज एक्सप्रेस जैसी वीआइपी ट्रेनों में भी यह सुविधा जल्द शुरू होगी। एनसीआर की विभिन्न लांड्रियों से रोजाना लगभग 50 हजार बेडरोल सेट तैयार होते हैं, जिनमें से लगभग 20 हजार अकेले प्रयागराज परिक्षेत्र से आते हैं। अब कंबलों पर खोल लगाने की प्रक्रिया को विस्तार दिया जा रहा है।

    कंबल से दुर्गंध की यात्री करते हैं शिकायत

    एसी कोच में मिलने वाले कंबल कई यात्रियों द्वारा उपयोग के कारण अक्सर गंदे हो जाते हैं या उनमें दुर्गंध की शिकायत आती है। यात्रियों ने इसकी शिकायत रेल मदद ऐप, 139 नंबर और एक्स पर भी की है। खोल युक्त कंबल इस समस्या का समाधान करेंगे। हर सफर के बाद खोल की धुलाई होगी, जिससे यात्रियों को हर बार नया और साफ कंबल मिलने का अहसास होगा। कुछ ट्रेनों में इसका परीक्षण सफल रहा है और यात्रियों की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है।

    अब हर माह होती है कंबलों की धुलाई 

    एसी कोच में यात्रियों को दो चादर, कवर वाला तकिया, छोटा तौलिया और कंबल का पैकेट मिलता है। रिजर्व सीट और आरएसी सीट वालों को अलग-अलग लिनन दिया जाता है। कंबलों की धुलाई अब हर महीने होती है, जबकि पहले यह हर तीन महीने (2010) और फिर दो महीने (2016-18) में होती थी। चादर, तकिया कवर और तौलिया की धुलाई हर उपयोग के बाद की जाती है।

    सुविधा यात्रियों के स्वास्थ्य की बढ़ाएगी सुरक्षा

    प्रयागराज और ग्वालियर में मैकेनाइज्ड लान्ड्री सिस्टम इस काम को और बेहतर बना रहा है। प्रयागराज में लगभग हर दिन 14 हजार लेनिन तैयार होता है। खोल युक्त कंबल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कपड़े और पर्यावरण-अनुकूल डिटर्जेंट का उपयोग हो रहा है। इससे कंबल साफ और टिकाऊ रहते हैं। यह सुविधा यात्रियों की स्वास्थ्य सुरक्षा बढ़ाएगी, कंबल का जीवनकाल बढ़ाएगी और रेलवे का रखरखाव खर्च कम करेगी। साथ ही, बार-बार कंबल बदलने की जरूरत कम होने से पर्यावरण को भी फायदा होगा।

    चादर पर आपूर्ति माह व कंबल पर माह-वर्ष लिखा रहता है

    यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल और चादर की उम्र की जानकारी टैग पर उपलब्ध होती है। चादर पर आपूर्ति का महीना और कंबल पर महीना-वर्ष लिखा होता है। चादर 9-12 महीने और कंबल दो साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। चादर की सफेदी वाइटोमीटर से जांच की जाती है और फटे होने की भी निगरानी होती है।

    क्या कहते हैं एनसीआर के CPRO

    एनसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि सभी डिवीजनों को इसकी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। रेलवे ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। प्रयागराज और अन्य प्रमुख स्टेशनों से बेडरोल और कंबल की आपूर्ति हो रही है।

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