50 की उम्र में न्यूरो सर्जन प्रकाश खेतान ने क्लैट में पाई सफलता, बेटी को प्रेरित करने दी नीट यूजी परीक्षा
प्रयागराज के न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान ने 50 वर्ष की आयु में कामन ला एडमिशन टेस्ट (क्लैट) में 37,628वीं रैंक हासिल की है, जिससे साबित होता है कि स ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। जहां अधिकतर लोग उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचकर पढ़ाई से दूरी बना लेते हैं, वहीं न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान ने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। 50 वर्ष की आयु में उन्होंने कामन ला एडमिशन टेस्ट (क्लैट) में शामिल होकर आल इंडिया 37,628वीं रैंक हासिल की है। इस परीक्षा में उन्हें 43 अंक प्राप्त हुए हैं। उनका यह प्रयास न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज में शिक्षा को लेकर बनी उम्र संबंधी धारणाओं को भी तोड़ता है।
डा. प्रकाश खेतान पेशे से जाने-माने न्यूरो सर्जन हैं और प्रतिदिन अस्पताल में मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं। व्यस्त चिकित्सा जीवन के बावजूद उन्होंने पढ़ाई के लिए समय निकाला और कानून प्रवेश परीक्षा की तैयारी की। वे कहते हैं कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। अगर मन में सीखने की इच्छा हो, तो हर परिस्थिति में रास्ता निकल ही आता है।
यह पहली बार नहीं है जब डा. खेतान ने शिक्षा के क्षेत्र में उम्र की सीमाओं को चुनौती दी हो। इससे पहले वर्ष 2023 में उन्होंने अपनी बेटी को प्रेरित करने के उद्देश्य से नीट यूजी की परीक्षा दी थी। उस परीक्षा में बेटी मिताली ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, जबकि स्वयं डा. खेतान ने 89 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। पिता और बेटी की यह शैक्षणिक उपलब्धि उस समय भी चर्चा का विषय बनी थी।
डा. खेतान बताते हैं कि उनकी दिनचर्या काफी चुनौतीपूर्ण रही। दिनभर अस्पताल में मरीजों का इलाज करने के बाद वे रात और खाली समय में पढ़ाई करते थे। थकान के बावजूद उन्होंने निरंतर अभ्यास और अनुशासन को बनाए रखा। प्रकाश खेतान का नाम वर्ष 2012 में ब्रेन से 296 सिस्ट निकालने पर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ था। इससे पहले यह रिकार्ड एक कनाडियन न्यूरोसर्जन के नाम था जिसने 17 सिस्ट निकली थी।
रीजनिंग और करंट अफेयर्स पर ध्यान दें छात्र
प्रकाश खेतान ने बताया कि क्लैट की परीक्षा में परीक्षार्थियों को करंट अफेयर्स और रिजनिंग का ध्यान देना अति आवश्यक है। समय सीमित होने के कारण यह दोनों क्षेत्रों पर पकड़ मजबूत होनी चाहिए। इन दोनों क्षेत्र में पकड़ नहीं होने पर सफलता के रास्ते कठिन हो जाते हैं।

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