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    माफिया मुख्तार अंसारी के सहयोगी की 2 करोड़ की छह प्रापर्टी जब्त, ED की प्रयागराज टीम ने की अटैचमेंट की कार्रवाई

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 10:08 PM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माफिया मुख्तार अंसारी के साथ ही उसके करीबी सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के केस में अब 2.03 क ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माफिया मुख्तार अंसारी के साथ ही उसके करीबी सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के केस में अब 2.03 करोड़ रुपए की छह और प्रॉपर्टी जब्त की गई है। यह संपत्ति माफिया मुख्तार अंसारी के सहयोगी शादाब अहमद और उसकी बीवी के नाम पर है। ईडी की टीम बाकी प्रॉपर्टी को लेकर भी जांच को आगे बढ़ा रही है।

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    बताया गया है कि मुख्तार अंसारी समेत अन्य के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच को आगे बढ़ाने पर पता चला था कि शादाब ने भी अपराध से अर्जित धन प्राप्त किया है। उसने मुख्तार अंसारी की फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन गाजीपुर के जरिए धोखाधड़ी की है।

    तब ईडी ने अक्टूबर 2025 ने लुकआउट सर्कुलर के आधार पर शादाब अहमद को शारजाह से लखनऊ पहुंचने पर हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया था। इसके बाद अदालत से जारी गैर-जमानती वारंट के संबंध में लखनऊ के विशेष न्यायाधीश (पीएमएलए/सीबीआई) ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

    ईडी को प्रयागराज टीम ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो अचल संपत्ति का पता चला, जिसे अब अटैच किया गया है। यह भी कहा गया है कि ईडी ने पुलिस थाने में दर्ज दो एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की। दोनों मुकदमे दक्षिण टोला मऊ और नंदगंज पुलिस स्टेशन गाजीपुर में लिखे गए थे।

    जांच में पता चला है कि विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कथित तौर पर मऊ के रैनी गांव में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया। वहां एक अवैध गोदाम बनाया गया था। गाजीपुर में भी एक और अवैध निर्माण किया गया। इन गोदामों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पट्टे पर दे दिया गया था, जिससे किराये की आय और नाबार्ड सब्सिडी के माध्यम से अपराध से प्राप्त धन (पीओसी) अर्जित किया गया। जबकि यह अतिक्रमण सरकारी जमीन पर था। अब तक कुल पहचाने गए पीओसी की राशि लगभग 27.72 करोड़ रुपये है।

    2022 से फरार चल रहा था शादाब

    ईडी का कहना है कि शादाब अहमद 2022 से फरार था। उसके परिसर में तलाशी ली गई थी। हिरासत में पूछताछ के दौरान पता चला कि उसने लगभग 10 करोड़ रुपये की अवैध आय को छिपाने और उसकी हेराफेरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मेसर्स आगाज़ प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स इनिज़ियो नेटवर्क सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और अधिकृत वित्तीय संचालक के रूप में और उनके बैंक खातों के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के रूप मे उसने मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन द्वारा अर्जित अवैध धन के हस्तांतरण में सहायता की।

    इन निधियों को वैध व्यावसायिक लेन-देन की आड़ में इन दो कंपनियों के माध्यम से भेजा गया और बाद में विभिन्न संस्थाओं में स्थानांतरित कर दिया गया। जांच के दौरान इन कंपनियों के माध्यम से अवैध आय की हेराफेरी में उसकी संलिप्तता सिद्ध हो गई है।

    अवैध आय की हेराफेरी में सहायता करने के लिए शादाब अहमद ने वेतन के रूप में 1.91 करोड़ रुपये और असुरक्षित ऋण के रूप में 74 लाख रुपये प्राप्त किए। इनका उपयोग उसने कुर्क की गई अचल संपत्तियों को खरीदने के लिए किया था। इस मामले में जारी किया गया यह चौथा कुर्की आदेश है।अब तक कुल कुर्क की गई संपत्ति 8.43 करोड़ रुपये है।आगे की जांच जारी है।