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    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह भूमि विवाद मामले में HC में सुनवाई, एडवोकेट कमिश्नर नियुक्ति की मांग पर फैसला सुरक्षित

    अधिवक्ता हरिशंकर जैन विष्णु शंकर जैन और प्रभाष पांडेय की ओर से कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी दी गई है। दलील दी गई कि न्यायपीठ के समक्ष मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े सभी 16 केसों की सुनवाई होनी है। इसके पहले कोर्ट अगर एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर मौके का भौतिक निरीक्षण करा ले तो केस की सुनवाई में अहम सबूत सामने आ जाएंगे।

    By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Thu, 16 Nov 2023 10:02 PM (IST)
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    मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्म भूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में हुई सुनवाई।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशव देव और शाही ईदगाह विवाद में एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग में दाखिल अर्जी पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। साथ ही सुनवाई में उपस्थित न रहने वाले पक्षकारों को नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित 16अन्य सिविल वादों में दाखिल अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।

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    अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और प्रभाष पांडेय की ओर से कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी दी गई है। दलील दी गई कि न्यायपीठ के समक्ष मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े सभी 16 केसों की सुनवाई होनी है। इसके पहले कोर्ट अगर एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर मौके का भौतिक निरीक्षण करा ले तो केस की सुनवाई में अहम सबूत सामने आ जाएंगे। मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कई प्रतीक चिह्न मौजूद हैं। इसके अलावा कई हिंदू स्थापत्य कला से जुड़े प्रमाण भी जमींदोज हैं।

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    ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वेश्वर मंदिर विवाद में भी ऐसा ही किया गया था। वहां भी एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर भौतिक जांच कराई गई है। कमेटी ऑफ मैनेजमेंट मथुरा शाही ईदगाह की तरफ से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने तर्क दिया कि पिछले 46 सालों तक कुछ नहीं किया गया। साथ ही कमेटी ने केसों के स्थानांतरण के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नौ जनवरी 2024 को उस पर सुनवाई होनी है।

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    सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता का कहना था कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 के तहत सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति की गई है। पूजा स्थल अधिनियम के तहत 947 की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में सिविल वाद प्रतिबंधित किया गया है। वक्फ अधिनियम भी इस पर लागू होता है। जब वाद ही पोषणीय नहीं है तो एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने का औचित्य नहीं उठता। पहले सिविल वादों की पोषणीयता तय हो जाए, उसके बाद ही आगे कुछ आदेश पारित किया जा सकता है। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह सहित कई अन्य पक्षकारों ने भी दलीलें रखीं। सुबह 10बजे से एक बजे तक कुल तीन घंटे सुनवाई चली।