महाकुंभ में किस सेक्टर में हुआ हादसा? श्रद्धालुओं ने बताया आंखों देखा हाल, बोले- एक के ऊपर एक चढ़ते गए लोग...
Mahakumbh Stampede News प्रयागराज कुंभ में मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान के दौरान हुई भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के प्रत्यक्षदर्श ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। मौनी अमावस्या के दिन संगम में पुण्य स्नान को पहुंचे लोगों की भगदड़ में मौत का पता पिलर नंबर 152 बन गया है। इस पिलर के 100 मीटर के घेरे में घटित दुर्घटना कई परिवार के लिए त्रासदी बनकर आई। मौके से जो बचकर निकल आए हैं, दुर्घटना के बाद भी ट्रामा में हैं। उसे याद कर सिहर उठते हैं। पूछो तो कहते हैं, शायद ही उस दृश्य को मैं कभी भूल पाऊं। मौके पर बिखरे लोगों के कपड़े, जूते-चप्पल गवाही दे रहे हैं कि किस तरह नहान की तैयारी करते समय वे काल के गाल में समा गए।
पत्नी छूट गई, मां-बच्चों को लेकर निकला
दिल्ली में द्वारका सेक्टर-18बी के प्रमोद कुमार शमा पेशे से व्यवसायी हैं। पत्नी, मां सरस्वती, दो बेटे श्रेयांश और दिव्यांश को कुंभ स्नान कराने लाए थे। डेढ़ से पौने दो बजे के बीच वे नहाकर आए ही थे कि एकाएक पीछे से भीड़ का रेला आया और वहां खड़े लोग दब गए। जो गिरा, वह उठ नहीं पाया और पीछे के लोग उन पर चढ़ते चले गए।

प्रमोद कहते हैं, मैं संभला और देखा तो मां और बेटे मेरे पास थे। अंडरवियर में ही मैंने तीनों का हाथर पकड़ा और घाट से निकलने लगा। पत्नी नहीं दिखी। मां और बेटे उसे ढूंढने की जिद करने लगे लेकिन इन्हें बचाना मेरी प्राथमिकता थी। अगर रूकता तो अनहोनी की आशंका थी। बाद में पत्नी केंद्रीय अस्पताल में मिलीं।
बताया कि वह सामान समेटने में पीछे रह गई थीं। फ्लैक्स गिरने से वह चोटिल हो गई थीं। जहां वह गिरी थीं, वहां कुछ महिलाएं-बच्चे बेसुध पड़े थे। शायद उनमें जान नहीं बची थी। भगवान का प्रताप है कि हमारा पूरा परिवार सेफ है।
कैसे बताऊं दादी की खबर नहीं मिल रही
जींद के नरेंद्र दो बहनों और पड़ोस की दादी रामपती को लेकर मौनी अमावस्या का स्नान कराने लाए थे। भगदड़ के बाद दादी भीड़ के नीचे दब गई थीं। रामपती को बेसुध अवस्था में एंबुलेंस में अस्पताल पहुंचाया गया। घंटो से दादी का हालचाल पाने को बेताब बिलखते नरेंद्र बाेबे, मामा का लड़का राधे और दादी की कोई खबर नहीं मिल रही है। हम परेशान हैं। फोन आ रहे हैं, मैं उठा नहीं पा रहा हूं। तभी उनकी हिसार से आई बहन नीता बोलीं, बताएं भी तो क्या बताएं? कैसे बताएं कि दादी नहीं मिल रही।

दो लड़के न होते तो पता नहीं क्या होता
हिसार की प्रीती देवी घटना को बयां करते कहती हैं, हमें बस इतना याद है कि 20-25 लड़कों का दल आकर हम पर गिरा। हमने संभलने का प्रयास किया। घुटनों पर बैठी लेकिन अगले ही पल संभली। आ रहे धक्के की उल्टी दिशा में भागी, कुछ ही पल में दो लड़के खंभे की आड़ लेकर हमलोगों को खींचने का प्रयास कर रहे थे। वे हिम्मत बढ़ा रहे थे। हम जब तक वहां थे, 20-25 लोगों को सकुशल बचा चुके थे। अगर वे न होते तो शायद जान गंवाने वालों की संख्या कहीं अधिक होती। सबसे पहले रेस्क्यू उन्हीं बच्चों ने किया। बाद में पुलिस आई।
बड़ा मन लेकर आए थे, अब वह पल भूल नहीं पा रहे
केंद्रीय अस्पताल में अपने साथियों के सामान बटोरे माथे पर हाथ रखे गोंडा के मोतीलाल बताते हैं, 144 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा था इसलिए हमलोग बड़ा मन लेकर आए थे लेकिन क्या कहें अब वह काली घड़ी भूल ही नहीं पा रहे। हमलोग 28 लोगों के साथ त्रिवेणी स्नान के लिए आए थे। भीड़ की वजह से हम दो दलों में बंट गए। फिर भी सब खुश थे, घाट पर पहुंच चुके थे। नहान की तैयारी थी। तभी एक-एक पर एक लोग गिरने लगे। हमलोग भी फंस गए लेकन जैसे-तैसे बचे। हमारे साथ आए श्रीनारायण की पत्नी नीचे दब गई। उसे चोट आई है। अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए हैं। उन्हीं के इंतजार में हूं, भगवान ने मानों हमें नया जीवन ही आज दिया है।
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लौटती भीड़ की धक्का-मुक्की में हुई चोटिल
भोपाल से छह लोगों के ग्रुप में आईं रश्मि तिवारी को एंबुलेंस लेकर जिला अस्पताल पहुंची। इलाज के बाद सामान्य हुईं तो रश्मि ने बताया कि वह स्नान के लिए जा रही थीं तभी संगम की ओर से भीड़ बेकाबू बढ़ रही थी। हमलोग बैरिकेडिंग के दूसरी ओर थे। भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। वे बेधड़क चले आ रहे थे। अचानक मैं भीड़ में दब गई। कई लोगों की कोहनी से चोट लगी। मेरी सांस फूलने लगी। शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था लेकिन मेरे साथ वालों ने मदद की। एक ओर किया फिर एंबुलेंस से यहां अस्पताल भिजवाया।

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