MahaKumbh 2025: महाकुंभ का महाकवरेज करेगा 82 देशों का मीडिया, बन रहा Media Center
महाकुंभ 2025 में आधुनिकता और अध्यात्म का संगम देखने को मिलेगा। दुनिया भर के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र यह प्रतिष्ठित उत्सव लोगों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक को अपना रहा है। 82 देशों के मीडिया ने कवरेज के लिए आवेदन किया है। नेत्र कुंभ-2025 की शुरुआत हो चुकी है जिसका उद्देश्य लाखों लोगों के जीवन में रोशनी लाना है।

जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। तीर्थराज में महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता और नवीनता का अनूठा संगम होने जा रहा है, जहां अत्याधुनिक डिजिटल प्रगति के साथ सनातन धर्म की पवित्र परंपराएं नजर आने लगी हैं। दुनिया भर के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र यह प्रतिष्ठित उत्सव लोगों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक को अपना रहा है। इसके महाकवरेज के लिए देश-दुनिया का मीडिया भी उत्सुक है।
यहां अब तक 82 देशों के मीडिया ने कवरेज के लिए आवेदन किया है।एडीएम मेला विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि यूरोपीय देशों से ज्यादा मीडिया समूह महाकुंभ का कवरेज के लिए आ रहे हैं। अमेरिका, आस्ट्रेलिया से भी बड़ी संख्या में चैनल कवरेज को आ रहे हैं। खाड़ी देशों के साथ ही अफ्रीकी राष्ट्रों का भी मीडिया पहुंचने वाला है। ज्यादातर मीडिया समूह 11 या 12 जनवरी तक यहां पहुंच जाएंगे।
एडीएम ने बताया कि परेड में इनके रुकने के लिए इंटरनेशनल मीडिया हाउस शिविर लगभग तैयार हो चुका है। इसके अलावा मीडिया सेंटर भी परेड में बनाया जा रहा है। इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगले दौरे में कर सकते हैं। मुख्यमंत्री का महाकुंभ में अगले हफ्ते में कार्यक्रम प्रस्तावित है।
दान हमारी संस्कृति की सुदीर्घ अभिव्यक्ति : स्वामी अवधेशानंद
महाकुंभ नगर के सेक्टर छह में रविवार से नेत्र कुंभ-2025 की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा, सनातन संस्कृति का मूल तत्व परमार्थ है। दान हमारी संस्कृति की सुदीर्घ अभिव्यक्ति है। नेत्र कुंभ के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में रोशनी आएगी। वे इंद्रधनुषी दुनिया को देख सकेंगे। नेत्र कुंभ का आयोजन महाकुंभ मेला का सबसे बड़ा पुण्य कार्य है।
आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा, नेत्र मानव का सबसे अधिक संवेदनशील अंग है। इससे हम जगत को देख पाते हैं। यह जीवन की पहली आवश्यकता है। वह स्वयं नेत्र कुंभ के उद्घाटन के साक्षी बनकर गौरवान्वित हैं। इस्कान के अध्यक्ष स्वामी गौरांग दास प्रभु ने कहा, विभिन्न इंद्रियों के माध्यम से हम तमाम वस्तुओं का अनुभव करते हैं। इंद्रियां निरंतर विभिन्न वस्तुओं को ढ़ूंढती हैं।
अपेक्षित वस्तु नहीं मिलती है तो वह निराश हो जाती हैं। नेत्र न होने से व्यक्ति प्रकाशवान जगत को नहीं देख पाता। नेत्र कुंभ का आयोजन सेवा भाव का अप्रतिम उदाहरण है।
उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा, अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक स्थल बन गया है। इसके निर्माण के अभी एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं। यह श्रीराम की कृपा का देश है। हिंदू समाज अब जाग रहा है। संगम तट पर हजारों साल से कुंभ के अवसर पर हिंदू समाज एकत्र होता आ रहा है। यहां आकर लोग आध्यात्मिक साधना करते हैं।
पूरे विश्व में इतनी आस्था किसी नदी में नहीं, जितनी गंगा में है। यह हमें बोध कराती है कि जो कुछ है, वह परमात्मा का है। इसी भावना से सम्राट हर्षवर्धन हर कुंभ में दान देकर चले जाते थे। आज यही भावना हर हिंदू के हृदय में होनी चाहिए।
नेत्र कुंभ समाज को संदेश देगा कि अब कोई नया दृष्टि बाधित नहीं बनेगा। जो पहले से दृष्टि बाधित है, वह भी रोशनी प्राप्त कर सकेगा। श्री रणछोड़दास बापूजी ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी प्रवीन भाई बसानी, सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद राज ने भी विचार व्यक्त किए।
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