Maha Kumbh: 12 मीटर लंबी बस में 42 लोग हो सकेंगे सवार, गंगा पथ पर दौड़ी ये स्पेशल बस
प्रयागराज में हाईड्रोजन फ्यूल से चलने वाली बस का ट्रायल फाफामऊ से नागवासुकी के बीच सफल रहा। 12 मीटर लंबी यह बस 42 यात्रियों को बैठा सकती है और 600 किमी तक चल सकती है। एनटीपीसी द्वारा लाई गई इस बस को अशोक लीलैंड ने तैयार किया है। यह केवल स्वच्छ जल वाष्प उत्सर्जित करती है जिससे प्रदूषण नहीं होता। महाकुंभ के बाद इसके नियमित संचालन की योजना है।

जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। क्या आपने हाईड्रोजन फ्यूल से चलनी वाली बस देखी है ? अगर नहीं, तो यह समझिए मनोकामना पूर्ण होने का समय आ गया है। हाईड्रोजन बस प्रयागराज आ चुकी है। गंगा पथ पर इसका ट्रायल हो गया है। अब महाकुंभ में हाईड्रोजन फ्यूल बस को दौड़ने की तैयारी है।
ट्रायल में यह बस फाफामऊ से नागवासुकि के बीच में पर्यावरण संरक्षण व भारत की आधुनिक परिवहन व्यवस्था का खाका खींचती नजर आई। 12 मीटर लंबी बस में एक साथ 42 लोग बैठ सकते हैं। इस बस को एनटीपीसी की ओर से यहां लाया गया है। इसे अशोक लीलैंड कंपनी ने तैयार किया है।
प्रयागराज में इसके नियमित संचालन की अब संभावना भी तलाशी जा रही है। सेक्टर 10 में विशेष साज-सज्जा के साथ यह बस अब गंगा पथ के किनारे लोगों को देखने के लिए रखी गई है। यहां तैनात कर्मचारी आगंतुकों को बस की तकनीक, विशेषता व संचालन की बारीकी समझा रहे हैं।
यहां मौजूद कर्मचारी बताते हैं कि ग्रेटर नोएडा और भुवनेश्वर समेत जगह-जगह ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन लगाने की तैयारी अभी चल रही है। जैसे ही स्टेशन बन जाएंगे बसों का संचालन शुरू हो जाएगा। अभी एनटीपीसी ने छह बस का आर्डर दिया था, यह बसें मिल गई हैं। महाकुंभ में इसका ट्रायल भी कर लिया गया है।
यहां मौजूद एके राव बताते हैं कि बस चलने में बहुत आरामदायक है। इसे लगभग 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलाया जा सकता है। यह बस 50 किलोग्राम तक हाइड्रोजन संग्रहीत करने में सक्षम हैं और रिफिल की आवश्यकता होने से पहले 600 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर सकती हैं।
कैसे काम करती है बस
हाईड्रोजन फ्यूल बस में पहिए बिजली से चलते हैं और बिजली हाइड्रोजन ईंधन सेल से मिलती है। इसमें लगा हाइड्रोजन ईंधन सेल (एचएफसी) एक विद्युत रासायनिक उपकरण है। ये हाइड्रोजन को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसे कभी-कभी बैटरी या सुपरकैपेसिटर के साथ हाइब्रिड रूप से बढ़ाया भी जाता है।
बस, केवल स्वच्छ जल वाष्प उत्सर्जित करती हैं, इससे प्रदूषण नहीं होता। ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में पाई जाने वाली अन्य पारंपरिक बैटरियों की तरह ही कार्य करते हैं, लेकिन ये डिस्चार्ज नहीं होते हैं। इन्हें बिजली से रिचार्ज करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसमें जब तक हाइड्रोजन की उपलब्धता रहती है, तब तक वे विद्युत का उत्पादन जारी रखते हैं।
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