11 साल बाद बदली जिंदगी– अंधे बेटे को मिली पिता की पेंशन और 15 लाख का एरियर
बक्सर बिहार के रहने वाले कमलेश कुमार चौबे की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया है। उनके पिता सिद्धनाथ चौबे सेना में थे जिनका निधन 2014 में हो गया था। इसके बाद कमलेश को अपने परिवार से अलग होना पड़ा और वह पत्नी व बेटे के साथ भिक्षावृत्ति करने लगे। लेकिन अब उन्हें पिता की पेंशन और 15 लाख का एरियर मिला है जिससे उनकी जिंदगी बदल गई है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। पिता सेना में थे, उनका निधन हुआ तो नेत्रहीन बेटे का अपनों ने भी साथ छोड़ दिया। मन हुआ कि आत्महत्या कर लें लेकिन पत्नी व बेटे का क्या होगा यह सोचकर ट्रेन में उनके साथ भिक्षावृत्ति करने लगा।
11 साल गुजर गए, अब पिता की पेंशन और 15 लाख का एरियर बेटे को मिला तो वह बिलखते हुए रो पड़ा, यह खुशी के आंसू थे जो बह रहे थे। पीसीडीए पेंशन कार्यालय के बाहर। अब उसका जीवन बदल गया है। अब हर माह लगभग 21 हजार रुपये उसे पेंशन में मिल रहे हैं।
यह कहानी कमलेश कुमार चौबे की है। वह बक्सर बिहार के हेठूआ गांव के रहने वाले हैं। शुक्रवार को पीसीडीए पेंशन के अधिकारियों का आभार जताने के लिए प्रयागराज पहुंचे थे।
वह बताते हैं कि पिता सिद्धनाथ चौबे सेना में थे। 1990 में भर्ती हुए और एएमसी में नायक (टीएस) के पद से वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त हुए। पिता को पेंशन मिल रही थी, लेकिन वर्ष 2014 में उनका निधन हो गया।
मां का निधन पांच साल पहले हो गया था तो अब नेत्रहीन कमलेश का साथ सब ने छोड़ दिया। वह बताते हैं कि भाई ने खाने की थाली तक कूच कर फेंक दी तो वह पत्नी-बच्चे के साथ घर से बाहर भीख मांग कर जीवन यापन करने लगे।
एक दिन ट्रेन में रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (पेंशन) कार्यालय, वेलफेयर के मनोज सिंह से हुई। कमलेश ने अपनी कहानी सुनाई तो पेंशन की पहल शुरू हुई।
पिता से संबंधित कागज जुटाने, लखनऊ से रांची तक दौड़ने से लेकर लेकर डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट बनवाने और एक-एक कागजों में खामियां दिखाकर परेशान करने का क्रम भी चला।
अंतत: कागज पीसीडीए (पेंशन), प्रयागराज कार्यालय आया तो यहां 15 दिनों के अंतर पेंशन जारी हो गई। अब बच्चों का एडमिशन स्कूल में हो गया है। इस दौरान अनुग्रह नारायण दास, संदीप सरकार, मौली सेन गुप्ता, रूपवंत सोनी, भारलेसे, आशीष यादव, आदि मौजूद रहे।
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