Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: प्रतिनिधि वाद पर मिली एक ही आपत्ति, अब 26 सितंबर को होगी सुनवाई
मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से तय प्रतिनिधि वाद पर अभी तक सिर्फ एक आपत्ति मिली है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ ने शुक्रवार को अन्य पक्षकारों से कहा कि वह अपनी आपत्ति अगली सुनवाई तिथि 26 सितंबर तक दे दें।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से तय प्रतिनिधि वाद पर अभी तक सिर्फ एक आपत्ति मिली है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ ने शुक्रवार को अन्य पक्षकारों से कहा कि वह अपनी आपत्ति अगली सुनवाई तिथि 26 सितंबर तक दे दें। वाद संख्या 13 में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने आपत्ति में कहा है कि जिन 15 वादों को समेकित किया गया था, प्रतिनिधि वाद उससे अलग था। केस संख्या 13 और 17 की प्रकृति अलग है और दोनों को साथ-साथ सुना जाना चाहिए।
वाद नंबर सात (श्री भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान) से कृष्ण लला के निकट मित्र कौशल किशोर को हटाने के लिए दाखिल अर्जी पर बहस हुई। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने दलील दी कि निकट मित्र नए-नए प्रार्थना पत्र दाखिल कर वाद की प्रकृति व स्वरूप को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी अधिवक्ता रीना.एन. सिंह ने दलील दी कि ट्रस्ट की कार्यवाही रजिस्टर की जो भी कागजात प्रस्तुत किए गए हैं वह सब फर्जी है। प्रतिनिधि वाद के खिलाफ कौशल किशोर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है।
इसमें फैसले तक सुनवाई टालने की भी मांग की गई। मंदिर पक्ष से एक अन्य पक्षकार हरेराम त्रिपाठी ने प्रतिनिधि वाद का गजट भी पूरे देश के प्रमुख समाचार पत्रों प्रकाशित कराने की मांग रखी। वाद संख्या तीन ( इसमें आगरा स्थित जामा मस्जिद में श्रीकृष्ण का विग्रह होने का दावा है) में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने वाद बिंदु तय करने की मांग की, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग लिया। करीब दो घंटे तक सुनवाई चली।
इससे पहले 22 अगस्त को कोर्ट में मस्जिद कमेटी की ओर से सिर्फ प्रतिनिधि वाद पर सुनवाई की मांग की गई थी। कोर्ट ने तब मंदिर पक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया था। उच्च न्यायालय ने 18 जुलाई को वाद संख्या 17 (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य) को प्रतिनिधि वाद बनाया है। शाही ईदगाह कमेटी ने प्रतिनिधि वाद पर ही सुनवाई करने और अन्य सभी वादों पर रोक लगाने की मांग की है। कुल 18 वाद मथुरा से हाई कोर्ट स्थानांतरित किए गए थे। इनमें तीन, 10 व 17 को अलग रखा गया था।

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